स्वर्ग मंदिर का इतिहास
मिंग राजवंश के योंग ल शासन काल के 18वें वर्ष(सन् 1420) से स्वर्ग मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। मिंग राजवंश के सम्राट जू ती ने 14 वर्षों में स्वर्ग मंदिर व शाही प्रासाद का निर्माण पूरा किया। शुरू शुरू में मंदिर का नाम स्वर्ग व धरती मंदिर रखा गया था। सम्राट च्या जिंग के 9वें वर्ष (सन्1530) में स्वर्ग व धरती की पूजा करने की गतिविधि अलग अलग कर दो स्थलों में आयोजित की जाने लगी थी। इसलिए स्वर्ग मंदिर महज स्वर्ग की पूजा करने वाला स्थल विशेष बनाया गया था और उस का नाम भी सम्राट च्या जिंग के 13वें वर्ष ( सन् 1534) में स्वर्ग मंदिर में बदला गया। छिंग राजवंश के मध्य काल में सम्राट छ्येन लुंग के 12वें वर्ष (सन् 1747) में छ्येन लुंग ने स्वर्ग मंदिर के भीतरी व बाहरी दोनों भागों का पुनःनिर्माण करने का निर्णय लिया। इसतरह फसल प्रार्थना भवन, शाही आकाश मंडप, वृत्ताकार ईश्वर यज्ञ वेदी आदि मंदिर की प्रमुख इमारतों का भी पुनर्निर्माण किया गया था। वे सभी बराबर आज तक बरकरार रहे हैं। वर्तमान में स्वर्ग मंदिर में प्राचीन सरू व चीड़ के पेड़ लहलहाते हुए दिखाई पड़ते हैं। स्वर्ग मंदिर दक्षिण पेइचिंग में एक बड़ा पार्क बन गया है।