कजाख जाति के लोगों के रीति-रिवाज उन के घुमन्तू जीवन से उत्पन्न हुए हैं। इनमें घुड़दौड़, भेड़ की छीनाझपटी और "युवती द्वारा युवक का पीछा करना" शामिल हैं। निल्का काउन्टी में हमें अन्तिम खेल देखने का मौका मिला। हरे-भरे चरागाह में जवान युवक-युवतियां सुन्दर पोशाक पहने हुए थे। एक पक्ष की एक युवती ने घोड़े को आगे बढ़ाते हुए युवकों को ललकारा। दूसरे पक्ष के एक युवक ने चुनौती को स्वीकार किया। वे बातें करते और हंसते हुए अपने-अपने घोड़े पर साथ-साथ जा रहे थे। परम्परागत रिवाज के अनुसार युवक युवती से छेड़खानी अथवा अपना प्रेम प्रकट कर सकता है और युवती गुस्सा प्रगट नहीं कर सकती है। जब दोनों वापस लौट रहे थे तो युवक ने घोड़े को भगाने के लिए चाबुक लगाया और युवक का पीछा करने के लिए युवती ने भी अपने घोड़े को दौड़ाया। यदि वह युवक के करीब पहुंच कर उसे चाबुक लगाती है तो युवक को चुपचाप सहन कर लेना पड़ता है। लेकिन आम तौर पर लड़की चाबुक ऊपर उठाने का छल करती है और युवक को प्रेमभरी नजरों से देखती है। यह कजाख जाति के नौजवानों में प्रेम प्रकट करने का एक तरीका है और इस तरीके से अनेक प्रेम-विवाह हुए हैं।
आपके विचार (0 टिप्पणियां)
![]()
कोई टिप्पणी नहीं
powered by changyan
|