उद्यान पारंपरिक चीनी संस्कृति की एक कलात्मक विधि है, जो"चीनी कर्म कांड"संस्कृति से उत्पन्न हुआ है। उसमें फूल पुष्पों व पेड़ पौधों के रूप में मानव जाति की मानसिक संस्कृति प्रतिबिंबित होती है।
चीनी उद्यान मुख्यतः प्राकृतिक दृश्यों के आधार पर कृत्रिम रूप से महल, गलियारी, भवन और मंडप आदि वास्तु बनाकर तैयार किये गए हैं। कृत्रिम नैसर्गिक अनुकृतियों में विभिन्न ऐतिहासिक कालों में मानविकी व सांस्कृतिक चिन्तन, खास तौर पर कविता, चीनी काव्य विशेष ज़ी और चित्रकला में गर्भित विचार अभिव्यक्त जाते हैं।
चीनी उद्यान का लम्बा इतिहास है, जो चीन की प्राचीन वास्तु कला की निधि माना जाता है। उद्यान का निर्माण करने की कारीगरी का इतिहास और लम्बा पुराना है।
छिन व हान राजवंशों के बाग-बगीचे से लेकर, वेई व जिन छह राजकालों के प्राकृतिक उद्यान, थांग व सुंग राजवंशों में सकल भू-परिदृश्य वाले उद्यान और अंत में मिंग व छिंग राजवंशों के उद्यानों में छाटे आकार में निर्मित नैसर्गिक दृश्यों वाले उद्यान तक विकसित हुए थे जिसमें छोटे रूप में विशाल दृश्य दर्शाने की परिकल्पना प्रेरित की जा सकती है। मिंग राजवंश के मध्य काल से निजी उद्यान उभरे हुए। यांगत्सी नदी के दक्षिणी क्षेत्र के उद्यान, उत्तर चीन के उद्यान और दक्षिणी चीन के लिंग नान के उद्यान क्रमशः विकसित हुए थे और तीनों शैली के उद्यान एक दूसरे को प्रभावित करते थे तथा परस्पर श्रेष्ठताओं का ग्रहण करते थे, जिससे चीनी उद्यानों की किस्मों व शैलियों में निरंतर विकास व सृजन आता था। चीनी उद्यानों का निरंतर विकास किया जाता है। और उसने अपनी पूर्व की अनूठी संस्कृति और उद्यान निर्माण सिद्धांत व विचारधारा से पश्चिमी देशों पर भी प्रभाव डाला है।