छन द ह्वा ने कहा कि आजकल चाय के उत्पादन में मशीनीकरण ने न केवल चाय की मात्रा को बढा दिया है बल्कि चाय की गुणवत्ता की गारंटी भी की गई है। उनका मानना है कि मशीनीकरण से उत्पादित चाय में हाथ का कोई संबंध नहीं है लेकिन लगता है कि यह हाथ से निर्मित चाय से भी ज्यादा उत्तम है। लेकिन जब हम चाय बनाने के परंपरागत तरीके के बारे में बात करते हैं तो छन द ह्वा का हमेशा से मानना है कि, परंपरागत तरीके की अपनी विशेषता है और हमें उसका सम्मान करना चाहिए।
हमारे यहां परंपरागत विधि से जिस चाय का उत्पादन किया जाता है उसमें उत्पादन तकनीक की बारीकियों का बहुत ध्यान रखा जाता है। यह हमारे हाथों से शुरू नहीं हुआ है, बल्कि कई जमानों से ऐसा चला आ रहा है।
चाहे हम चाय की किस्म के बारे में बात करें या आम लोगों की पसंदीदा चाय के बारे में बात करें, तो छन द ह्वा निसंदेह वू यी येन चाय के जनक कहे जा सकते हैं। यह इसलिए नहीं कि उन्होंने इस किस्म के चाय का उत्पादन किया है बल्कि इसलिए कि पिछले पचास सालों में इस चाय के उत्पादन और विकास से संबंधित वही पहले व्यक्ति हैं। उनके चेहरे पर भी एक चमक है क्योंकि उन्होंने इस चाय के उत्पादन, विकास और व्यवसायीकरण के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्हें विश्वास है कि वू यी येन चाय का व्यवसाय अभी अच्छा है और भविष्य में और बेहतर विकास होगा।