पंकजः हमारी अगली श्रोता हैं मनीषा चक्रवर्ती जी, इन्होंने भी हमें अपना पत्र ई मेल के द्वारा भेजा है और ये हमें पत्र लिखती हैं ग्राम हाड़ा, पोस्ट ऑफिस ब्राह्मणपाड़ा जिला हुगली, पश्चिम बंगाल से। मनीषा जी ने इसी वर्ष उच्चतर माध्यमिक परीक्षा दिया है जिसके बाद इन्हें ए-ग्रेड मिला है और ये कॉलेज में अंग्रेज़ी ऑनर्स में एडमिशन लेने के लिये व्यस्त हैं, तो मनीषा जी आपने परीक्षा में ए ग्रेड पाने के लिये बधाई और हम आशा करते हैं कि अबतक तो आपको अंग्रेज़ी ऑनर्स में एडमिशन मिल भी गया होगा और आपकी अंग्रेज़ी ऑनर्स की पढ़ाई सुचारू रूप से चल रही होगी।
चंद्रिमाः मनीषा जी हमें धन्यवाद देती हैं क्योंकि हमने इनसे फोन पर बात की थी। और ये आगे लिखती हैं कि ये घटना मेरे जीवन की बहुत बड़ी घटना है, क्योंकि मुझे जीवन में पहली बार किसी विदेशी रेडियो चैनल ने फोनकर मुझसे बातें कीं। इससे मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं। इस फोन कॉल के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मैं भविष्य में भी आपके फोन कॉल की प्रतीक्षा करूंगी।
पंकजः अगला पत्र हमें लिखा है उमेश कुमार शर्मा जी ने कैलाश नगर नारनौल हरियाणा से। उमेश जी लिखते हैं कि इन्हें हमारा टॉप 5 कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है, जिसमें हम इन्हें हॉलीवुड, हिन्दी और चीनी गीत सुनवाते हैं। उमेश जी आगे लिखते हैं कि अमेरिका के चर्चित इंटरनेट समाचार पत्र वॉशिंगटन पोस्ट में विश्व के दस सबसे स्वादिष्ट व्यंजनों में चीन के शाही व्यंजन पेकिंग डक यानी बतख को पहला स्थान मिला है। मेरे ख्याल से ये वही व्यंजन है जिसके बारे में आपने अपने कार्यक्रमों में जिक्र किया है। क्या करूं मैं तो शाकाहारी हूं, नहीं तो इस व्यंजन को खाकर ज़रूर देखता कि इसका स्वाद कैसा है।
चंद्रिमाः इसके अलावा इन्हें हमारे खेल जगत के कार्यक्रम बहुत पसंद हैं और खास तौर पर दक्षिण एशिया फोकस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार त्रिवेणी प्रसाद पांडे की टिप्पणी इन्हें बहुत पसंद आती है, जो कि बेबाक तरीके से अपनी निष्पक्ष राय श्रोताओं के सामने रखते हैं। इसके अलावा इन्हें हमारी उद्घोषिका नीलम द्वारा सुनवाए गए चीनी गीत बहुत मधुर लगे। हमारे द्वारा चीनी भाषा सीखें कार्यक्रम से उमेश जी चीनी भाषा भी सीख रहे हैं, और इनका आग्रह है कि हम थोड़ा धीरे बोलें क्योंकि इन्हें लिखने और समझने में परेशानी होती है।
पंकजः अपने पत्र के अंत में उमेश जी ने विश्व शांति के लिये एक बहुत ही सुंदर सी कविता लिखी है, जो ये चाहते हैं कि हम श्रोता वाटिका में छपवाएं। उमेश जी श्रोता वाटिका आपके लिये ही है और आपके द्वारा भेजी गई कविताओं, लघु कथाओं और यात्रा वृत्तांतों से हम उसे सजाकर आप तक भेजते हैं। इस कविता की दो लाईनें मैं अपने श्रोताओं को पढ़कर सुना देता हूं –
अगर विश्व में नहीं होगी शांति।
अवश्यमभावी है तब क्रांति।।
कोलाहल मचेगा चारों ओर।
नहीं मिलेगा जीवन का छोर।।