चंद्रिमाः साथ ही, इलाहाबाद के इण्टरनेशनल फ्रेण्डस क्लब के हमारे श्रोता रवि श्रीवास्तव जी ने भी अपने पत्र में सी.पी.सी. की 18वीं कांग्रेस की चर्चा की। उन्होंने यह लिखा है कि सीपीसी की महत्वपूर्ण 18 वीं बैठक शुरू हो गई है। इस बाबत हमें हर पल की खबर मिल रही है। इस बैठक पर पूरे विश्व की निगाह लगी हैं, क्योंकि सीपीसी के पोलित ब्यूरो के सदस्यों का चुनाव भी किया जाना है। सीपीसी के नेता हू चिन थाओ जिन्होंने कार्यवाही बैठक की रिपोर्ट दी, के कथन से हम पूरी तरह से सहमत हैं कि हमें मौकों को पकड़कर चुनौतियों का सामना करना चाहिए। चीन में आज अर्थ लोकतंत्र और जन लोकतंत्र के पुनर्गठन का दौर चल रहा है। निःसंदेह रूप से चीन ने दूसरे देशों को पीछे छोड़ते हुए आश्चर्यजनक रूप से तरक्की की है, और इसके पीछे सीपीसी की कठोर और आत्म नियंत्रित नीतियाँ रही हैं।
पंकजः अच्छा, सी.पी.पी. की 18 वीं कांग्रेस की चर्चा के बाद अब हम कुछ अन्य पत्र पढ़ते हैं। अगला पत्र हमें लिखा है सलीम अब्बास देसाई ने और ये पत्र हमें लिखते हैं ज़िला बेलगाम, कर्नाटक से। सलीम जी लिखते हैं कि ये पेशे से पत्रकार हैं और सीआरआई के कार्यक्रम सुनते हैं इसके साथ ही ये जब भी कभी रेडियो पर इंटर्व्यू देते हैं तो सीआरआई की बहुत प्रशंसा करते हैं। इसके अलावा इन्होंने एक पत्रिका में अपना इंटर्व्यू भी छपवाया है, जिसमें ये सीआरआई की बहुत प्रशंसा करते हुए दिखाए गए हैं। आगे ये हमसे आग्रह करते हैं कि हम इन्हें चीन की यात्रा पर आमंत्रित करें, जिससे ये चीन घूम सकें और उसके बाद ये चीन पर एक पुस्तक लिखना चाहते हैं।
चंद्रिमाः तो सलीम जी, चीन यात्रा के लिये आपको किसी तरह के निमंत्रण की आवश्यकता नहीं है। चीन ने आज अपने द्वार सभी के लिये खोल दिये हैं। आप जब चाहे चीन की यात्रा पर आ सकते हैं। बस आपके पास पासपोर्ट होना चाहिए और आप चीनी दूतावास में जाकर पर्यटन वीज़ा लीजिये, जिसकी फ़ीस भी बहुत कम है। और उसके बाद आप किसी निश्चित हवाई जहाज़ का टिकट लेकर यहां आ सकते हैं। और आपने जो चीन पर पुस्तक लिखने की बात कही है, ये तो वाकई बहुत खुशी की बात है कि आप अपना यात्रा वृतांत छपवाना चाहते हैं। अवश्य छपवाईये लेकिन किताब की एक प्रति हमारे पास ज़रूर भेजिये, जिससे हम आपकी पुस्तक को अपने कार्यक्रम में जगह देंगे।
पंकजः हमारे अगले श्रोता हैं कालका प्रसाद कीर्ती प्रिये और इनका पत्र हमारे पास आया है औरैया उत्तर प्रदेश से। कालका जी लिखते हैं कि आपका दस सितंबर का कार्यक्रम सुना और ये जानकर खुशी हुई कि चीन में भी शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा इन्होंने हमारा 13 सितंबर का कार्यक्रम भी सुना और ये कहते हैं कि इस कार्यक्रम से इन्हें पता चला कि सेब का रस शीतल पेय में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इन्हें हमारा गणेश चतुर्थी वाला कार्यक्रम और मध्य शरद ऋतु वाला कार्यक्रम विशेष तौर पर बहुत पसंद आया। और ये प्रसारण सुनकर इन्हें खुशी हुई।
चंद्रिमाः कालका जी हमारी हमेशा कोशिश रहती है कि हम अपने श्रोताओं को ढेर सारी जानकारी दें। पंकज जी, कालका जी लगता है कि भारत में बैठकर ही चीनी भाषा लिखना और पढ़ना सीख रहे हैं। क्योंकि ये हमें जब भी कोई पत्र लिखते हैं, उसमें चीनी में कुछ कुछ लिखा करते हैं। जैसे इस बार उन्होंने यह लिखा है कि 中国国际广播电台,你好! यानि चाइना रेडियो इंटरनेशनल नमस्ते। 你们的广播节目很好,谢谢!जिस का मतलब है आपका कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा धन्यवाद। ये तो बहुत अच्छी बात है कि हमारे श्रोता हमारा रेडियो प्रसारण सुनने के अलावा चीनी भाषा भी सीख रहे हैं। इससे भारत और चीन की मैत्री में ज्यादा प्रगाढ़ता आएगी।