पंकजः हमें अगला पत्र लिखा है मुकुंद तिवारी जी ने और ये हमें पत्र लिखते हैं रीगा बिहार से। इन्होंने न तो पत्र में अपना नाम लिखा है और न ही पूरा पता लिखा है सिर्फ शिकायती लहज़े में पत्र लिखा है और ये लिखते हैं कि मैं आप लोगों को पत्र लिखते लिखते तबाह हो गया हूं। तो मुकुंद जी आप पत्र लिखने में तबाह क्यों होते हैं। क्या आपने वो पुरानी कहावत नहीं सुनी सब्र का फल मीठा होता है। तो मुकुंद जी आपकी शिकायत तो हमने दूर कर दी आपका पत्र अपने कार्यक्रम में शामिल करके। लेकिन आपने अपने पत्र में न तो अपना नाम लिखा है और न ही पता। पत्र के अंत में आपने अपना ई मेल आई-डी दिया है जिससे हमें आपके नाम का अंदाज़ा लगा और आपने अपने इलाके का नाम रीगा लिखा है ग्राम, ज़िला, पोस्टऑफिस और प्रांत नहीं लिखा। कम से कम हमें अपना नाम और पूरा पता तो लिखिये जिससे हम आपसे संपर्क कर सकें।
चंद्रिमाः मुकुंद जी, आपने हमारी पत्रिका श्रोता वाटिका के लिये आग्रह किया है लेकिन आपने अपना पता नहीं लिखा इसलिये आपको हम चाहते हुए भी श्रोता वाटिका नहीं भेज सकते। जब भी आप हमें अगला पत्र लिखें तो उसमें अपना नाम और पूरा पता साफ साफ ज़रूर लिखें जिससे हमें आपके द्वारा मांगी गई सामग्री भेजने में कोई दिक्कत पेश न आए।
पंकजः अगला पत्र हमें लिखा है झारखंड के रामगढ़ जिले के अफज़ल इब्राहिम जी ने पत्र के साथ इन्होंने अपना पासपोर्ट साइज़ रंगीन फोटो भी भेजा है और हमसे ये आग्रह करते हैं कि इनकी फोटो को हम श्रोता वाटिका में जगह दें। तो अफज़ल जी ये पत्रिका आप लोगों के लिये ही छपती है इसलिये इसपर आपका अधिकार है। आप आग्रह नहीं बल्कि अधिकार के साथ इसमें अपनी और अपने परिजनों की फोटो छपवाने की मांग कर सकते हैं।
चंद्रिमाः सिर्फ इतना ही नहीं आप अगर अपने क्षेत्र या घर के आस पास की कोई सुंदर सी तस्वीर खींचकर और उसके बारे में कोई रोचक जानकारी लिख भेजें, तो वो भी हम श्रोता वाटिका में अवश्य छापेंगे। इसके अलावा अफज़ल जी ने श्रोता वाटिका मंगवाने के लिये अपना पूरा पता भी हमें लिख भेजा है। तो हम आपको बता दें कि जल्दी ही हम आपके भेजे गए पते पर श्रोता वाटिका पत्रिका अवश्य भेजेंगे। और आपके द्वारा भेजी गई फोटो को इस बार के अंक में शायद छपवाएंगे।