चंद्रिमाः तो प्रदीप मिश्रा जी, आपकी नाराज़गी आज हमने दूर कर दी और आपके पत्र को अपने कार्यक्रम में शामिल कर लिया। इसके अलावा आपकी कोई और नाराज़गी है तो हमें बताईये। हम उसे भी दूर करने की कोशिश करेंगे। मिश्रा जी आगे लिखते हैं कि इस वर्ष यानी 2012 का ग्रीटिंग कार्ड हमने इन्हें नहीं भेजा जबकि पिछले पांच – छै वर्षों का हमारे द्वारा भेजा गया ग्रीटिंग कार्ड इनके पास आज भी सुरक्षित रखा हुआ है। प्रदीप जी, इस बार आपको नववर्ष बधाई कार्ड नहीं देने के लिये हम भी बहुत दुखी हैं, क्योंकि इस साल में बजट के ह्रास के कारण नववर्ष की बधाई कार्ड तैयार नहीं है। न सिर्फ़ आप, बल्कि हमारे सभी श्रोताओं को ये नहीं मिला है। पर चिंता मत कीजिये, सुना है कि अगले साल के लिये ग्रीटिंग कार्ड बनाए जा रहे हैं। अगर संभव हुआ, तो हम ज़रूर आपको और हमारे सभी श्रोताओं को फिर से नियमित रूप से बधाई कार्ड भेजेंगे और आपकी ये शिकायत भी दूर करेंगे।
पंकजः हमारे अगले श्रोता हैं उमेश कुमार शर्मा जी, जिन्होंने हमें पत्र लिखा है कैलाश नगर नारनौल हरियाणा से। उमेश जी पिछले 25 वर्षों से हमारे सारे कार्यक्रम नियमित रूप से सुनते आ रहे हैं। इन्होंने हमारी प्रसारण सेवा की प्रशंसा की है और लिखा है कि मैं पिछले 25 – 26 वर्षों से सी.आर.आई. के कार्यक्रम सुनता आ रहा हूं, और इसमें निरंतर सुधार हुआ है। इसके अलावा उमेश जी को रूपा जी द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम चीन की सैर बहुत अच्छा लगा, जिसमें रूपा जी ने च च्यांग प्रांत के हाङ चो पर्यटन केन्द्र की सैर कराई और यहां के प्राकृतिक दृश्यों, सांस्कृतिक अवशेषों के साथ लुंचिंग चाय के विषय में भी जानकारी दी, जो इन्हें काफी रोचक और ज्ञानवर्धक लगी।
चंद्रिमाः इसके साथ ही उमेश जी कहते हैं कि यदि इन्हें भविष्य में चीन आने का अवसर मिला, तो ये लुंचिंग चाय का स्वाद अवश्य लेंगे। तो उमेश जी हम भी यही चाहते हैं कि सिर्फ आप ही नहीं ढेर सारे भारतीय पर्यटक चीन आएं, चीन की सैर करें और यहां के स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ यहां की विशेष चाय का स्वाद अवश्य लें। लोगों की आवाजाही से दोनों देशों में आपसी संबंध और प्रगाढ़ और मधुर होंगे। और साथ ही हम एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।