चंद्रिमाः जी हां, इस साल में हम प्रतियोगिता के लिये पुरस्कार के रूप में रेडियो जैसी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं भेजने पर भी विचार कर रहे हैं। गुप्ता जी ने अंत में हमसे पूछा है कि अगर वो कोई कविता, रचना या किस्से कहानी हमें भेजते हैं तो हम उसे रेडियो पर प्रसारित करेंगे या नहीं। अरे भाई गुप्ता जी, आपकी कविताएं, रचनाएं और कहानियां ये तो हमारे लिये आभूषण जैसे हैं, और ये कार्यक्रम भी तो आपका ही है। फिर आपने ये कैसे सोच लिया कि हम आपकी रचनाएं प्रसारित नहीं करेंगे। हम आपकी रचनाओं को प्रसारित करने के साथ साथ उसे श्रोता वाटिका में भी छापेंगे। और उसकी एक प्रति भी आपको भारत में भेजेंगे। आपकी भेजी गई रचनाएं हमारे लिये बहुत उपयोगी होंगी। और दूसरे श्रोता भाई बहनों के साथ हम उन्हें बांट सकते हैं।
पंकजः चंद्रिमा जी, हम बार बार अपने श्रोताओं से आग्रह करते हैं कि वो हमें जब भी पत्र लिखें तो उसमें अपना नाम पता और पत्र साफ और सुंदर भाषा में लिखें। हमारे पास ये एक और पत्र आया है जिसे लिखने वाले ने अपना नाम और पता नहीं लिखा है, फिर भी हम पत्र पढ़कर अपने श्रोताओं को सुना रहे हैं। इस पत्र में इन्होंने अपने दो मोबाइल नंबरों का ज़िक्र किया है वो नंबर हम इनका पत्र पढ़ने के बाद अपने श्रोताओं को सुनाएंगे। अपना फोन नंबर सुनकर आप भी हमें अगला पत्र अपने पूरे नाम और पते के साथ लिखें।
चंद्रिमाः ये लिखते हैं कि ये हमारे नियमित श्रोता हैं और लंबे समय से हमें पत्र लिख रहे हैं। लेकिन जब इनका एक भी पत्र हमने अपने कार्यक्रम में शामिल नहीं किया, तो वे बहुत दुखी हैं। इसके बाद इन्होंने लिखा है कि इन्हें हमारा कार्यक्रम चीन का भ्रमण, प्राचीन ली चांग सूह कस्बे की जानकारी बहुत अच्छी लगी। इसके अलावा इन्हें हमारे जो अन्य कार्यक्रम अच्छे लगते हैं वो हैं:आपका पत्र मिला, आपकी पसंद, नूशिंग स्पेशल, चीन का भ्रमण, विश्व समाचार और मनोरंजन का वक्त।
पंकजः चलिये अंत में हम इनका फोन नंबर अपने श्रोताओं को सुना देते हैं। पहला फोन नंबर है 9097992743 इनका दूसरा फोन नंबर है 8051705106 । तो भाई साहब, अगर ये आप के फ़ोन नंबर हैं, तो अगले पत्र में आप अपने नाम और पता लिखना ना भूलें। और हम आपके अगले पत्र की प्रतीक्षा में हैं।