चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। बहुत खुशी के साथ आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।
विकासः और मैं हूं आप का दोस्त, विकास।
चंद्रिमाः विकास जी, आज यानि 15 अगस्त को, भारत का स्वतंत्रता दिवस है। ठीक है न?
विकासः आपने बिल्कुल ठीक कहा। पर आप कैसे जानती हैं कि आज स्वतंत्रता दिवस है?
चंद्रिमाः क्योंकि बिहार के हमारे प्रिय श्रोता हेमंत कुमार जी ने हमें भेजे ई-मेल में इस दिवस की याद दिलायी है। इस में उन्होंने यह लिखा है कि स्वतंत्रता दिवस का मुबारक हो। जय हिन्द, जय भारत। मैं एक भारतीय होने पर बहुत गर्व महसूस करता हूं।
विकासः वाह, बहुत अच्छा लिखा है। यहां हम सभी भारतीय श्रोताओं को इस दिवस पर बधाई देते हैं। आशा है भारतीय जनता खुश व सुखमय जीवन बिता सकेंगे, और भारत व चीन संबंध दिन-ब-दिन घनिष्ठ होंगे।
चंद्रिमाः अच्छा, स्वतंत्रता दिवस के मुबारक के बाद अब हम और एक विषय की चर्चा करते हैं। विकास जी, लंदन ऑलंपिक अभी अभी समाप्त हुआ है। आप को कैसे लगा यह ऑलंपिक खेल समारोह?
विकासः इस बार का ओलंपिक बहुत दिलचस्प और प्रभावशाली रूप से संपन्न हुआ। इस बार हमें देखने को मिला है कि सभी खिलाड़ियों ने पदक जीतने के लिए जोरदार कोशिश की है। चंद्रिमा जी, आपके विचार में इस ओलंपिक में चीनी खिलाड़ियों के लिए सबसे खुशी और खेद की बात क्या रही।
चंद्रिमाः इस बार के ओलंपिक में चीनी खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पूरी दुनिया को चीन ने चकित कर दिया है। मेरे विचार में सब से खुशी की बात यह है कि तैराकी, तलवार व सेलबोट जैसे ईवेंटों में चीनी खिलाड़ियों ने पहली बार स्वर्ण पदक प्राप्त किये। खास तौर पर तैराकी ईवेंट के चीनी खिलाड़ी सुन यांग व खिलाड़िन येन शी वेन। उन्होंने न सिर्फ़ स्वर्ण पदक प्राप्त किये, बल्कि विश्व रिकॉर्ड भी तोड़े हैं। और सब से खेद की बात शायद यह है कि 110 मीटर बाधा दौड़ में चीनी खिलाड़ी ल्यू श्यांग को एड़ी की चोट के कारण मैच को छोड़ना पड़ा। उस समय बहुत सारे चीनी लोग मायूस भी हो गये।
विकासः हां, कुछ पाया है और कुछ खोया, यह तो ऑलंपिक में चीनी प्रतिनिधि मंडल है। अब हम देखें हमारी वेब पर नेटेज़नों ने लंदन ऑलंपिक के बारे में क्या सोचा और क्या लिखा है। इलाहाबाद के इण्टरनेशनल फ्रेण्डस क्लब के अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव ने वेब पर यह लिखा है कि विश्व के महानतम खेलों के महाकुम्भ पर चीनी खिलाडियों का आगाज़ पेइचिंग सरीखा रहा। पहले चार स्वर्ण पदकों को अपनी झोली में डालकर चीन ने ये साबित कर दिया कि उसका दबदबा आगे भी कायम रहेगा। हम उम्मीद करते हैं कि चीन आगे भी अपने इस प्रदर्शन को कायम रखेगा। हम आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएँ और बधाई देते हैं।