चंद्रिमाः अगला पत्र ढ़ोली सकरा, बिहार के जसीम अहमद का है। इस में उन्होंने लिखा है कि आजकल सी.आर.आई. हिन्दी प्रसारण का रिसेप्शन बहुत अच्छा है। प्रसारण साफ़ सुनाई दे रहा है। मैं रात का प्रसारण एवं सुबह का प्रसारण नियमित रूप से सुन रहा हूं। कार्यक्रम काफ़ी साफ़ सुनाई देता है। पर दिल्ली में स्थिति ऐसी नहीं है। मैं बराबर दिल्ली जाता रहता हूं, और वहां भी सी.आर.आई. का कार्यक्रम रेडियो पर सुनने की कोशिश करता हूं। मगर इतना ज्यादा शोरगुल होता है कि रेडियो पर कार्यक्रम सुनना मुश्किल होता है। दिल्ली मुम्बई, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में रेडियो पर कोई भी प्रसारण सुनना मुश्किल है।
विकासः उन्होंने आगे लिखा है कि मैं हर बड़े-छोटे शहरों में जाकर कार्यक्रम सुनने की कोशिश करता हूं। जहां जाता हूं, रेडियो मेरे पास होता है। मैं पूरे भारत की स्थिति बता सकता हूं कि किस जगह सी.आर.आई. का कार्यक्रम कैसा सुनाई देता है, कितने किलोहर्ज़ पर सुना जा सकता है, और किस समय सुना जा सकता है। जसीम भाई, हमारे कार्यक्रम पर इतना ध्यान देने और हमें नियमित रूप से पत्र लिखने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
चंद्रिमाः जी हां, अब बारी है मऊनाथ भंजन, उत्तर प्रदेश के चैंपियन रेडियो कल्ब के सलमान अहमद अंसारी की। इस में उन्होंने यह लिखा है कि हम लोग सी.आर.आई. के प्रसारित तमाम कार्यक्रमों को बड़ी चाव व लगन से सुनते हैं, और कार्यक्रमों को और अच्छा बनाने के लिये अपने विचारों से अवगत कराते रहते हैं। ताकि आप का कार्यक्रम और रोचक बनाया जा सके। खुशी की बात है कि आप का पत्र मिला कार्यक्रम में मेरे पत्रों के उत्तर दिए गए, जो सुनकर कल्ब के सदस्य काफ़ी खुश हुए।
विकासः इस के अलावा उन्होंने यह भी लिखा है कि हमें सी.आर.आई. के प्रसारित तमाम कार्यक्रम पसंद हैं। उदाहरण के लिये आप की पसंद, चीनी भाषा सीखें, खेल जगत आदि। और इस बार हम सलाह देते हैं कि भविष्य में बच्चों के लिये व छात्रों के लिये कोई कार्यक्रम शुरू किया जाए। इस से सुनने वालों की संख्या और अधिक होगी। अंसारी जी, हमें बहुत खुशी हुई कि आप तथा चैंपियन रेडियो कल्ब के सदस्यों को हमारे कार्यक्रम में बहुत रूची है। आप लोगों को अक्सर हमें पत्र द्वारा रचनात्मक सलाह देने का बहुत बहुत धन्यवाद। आशा है आप लोग हमेशा इसी तरह हमारा समर्थन देते रहेंगे।