चंद्रिमाः केसिंगा, ओड़िशा के हमारे सक्रिय श्रोता सुरेश अग्रवाल ने हमें भेजे पत्र में कुछ कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए यह लिखा है कि कार्यक्रम "चीन का भ्रमण" के तहत पूर्वी चीन स्थित होनसेन पर्वत और उसकी तलहटी में बसे मशहूर गाँव एशिन की सैर बहुत मनभावन लगी। वहां के प्राचीन वास्तु वाले मकान तथा विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण वहां कभी किसी युध्द का प्रभाव नहीं पड़ा, जानकारी अत्यन्त महत्वपूर्ण लगी। एशिन के अलावा दो और गाँवों के बारे में दी गई जानकारी भी काफी रोचक लगी, खासकर, सौ मकानों का वह समूह, जो कि समुद्र में लंगर डाले भीमकाय ज़हाज़ों की तरह लगता है, जानकारी काफी लुभावनी लगी। "काश" हम स्वयं ऐसे स्थानों का अवलोकन कर पाते!
विकासः उन्होंने आगे लिखा है कि साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" के अन्तर्गत तिब्बत की राजधानी ल्हासा के एक बड़े सब्जी बाज़ार पर जानकारी सुन पता चला कि ल्हासा में बड़ी संख्या में स्थापित ग्रीन हाउसों में उत्पादित सब्जियों के फलस्वरूप वहां सब्जियां ताज़ा और सस्ती प्राप्त होती हैं। यह जान कर अच्छा लगा कि यह बाज़ार प्रसिद्ध पोताला महल के आस-पास ही लगता है। कभी मौक़ा मिला तो हम भी यह स्थान अवश्य देखना चाहेंगे। कार्यक्रम में तिब्बत विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों की दिलचस्पी तथा एक जापानी अध्यापिका से बातचीत सुन पता चला कि तिब्बत की ओर विदेशियों को आकृष्ट करने के लिए कितने महत्वपूर्ण प्रयास किये जा रहे हैं। धन्यवाद् इस तमाम अहम् जानकारी को बाँटने के लिए। सुरेश जी, आप को भी धन्यवाद, हमारे कार्यक्रम के समर्थन के लिये।
चंद्रिमाः अच्छा, दोस्तो, आज का कार्यक्रम यहीं तक समाप्त होता है। अगले हफ्ते हम फिर मिलेंगे। अब चंद्रिमा व विकास को आज्ञा दीजिये, नमस्कार।
विकासः नमस्कार।