चंद्रिमाः हां, मुबारकपुर आज़मगढ़ के प्रिंस रेडियो लिस्नर्स क्लब के वसीम फ़तेमा ने अपने पत्र में यह लिखा है कि प्रिय विकास भाई, नमस्ते। हम आप का प्रसारण वर्षों से सुनते हैं। और आप को पत्र द्वारा सूचित करते हैं। लेकिन आप का पत्र मिला में कभी भी हमारे क्लब को स्थान नहीं मिला। आप की प्रतियोगिता में भी भाग लेते हैं, लेकिन कभी पुरस्कार नहीं मिला। ऐसा क्यों?तो विकास जी, आप इस बात पर कुछ कहिये न?
विकासः वसीम फ़तेमा भाई, मेरे ख्याल से आज का कार्यक्रम सुनकर आप ज़रूर खुश होंगे। क्योंकि इस बार आप की बारी आ गयी। आप नहीं जानते कि हर बार जब हम पत्र चुनते हैं, तो हम बहुत परेशान रहते हैं। अगर हम इस क्षेत्र के श्रोताओं के पत्र ज्यादा चुनते हैं, तो उस क्षेत्र के श्रोता नाराज़ होंगे। और अगर हम ज्यादा ई-मेल पत्र पढ़ते हैं, तो डाक द्वारा भेजे गये पत्र लिखने वाले श्रोता शायद नाराज़ होंगे। यह सचमुच एक मुश्किल बात है। हालांकि हम सभी श्रोताओं के पत्र पढ़ना चाहते हैं, लेकिन समय के अभाव से ऐसा संभव नहीं है। प्रतियोगिता में पुरस्कार का वितरण भी ऐसी स्थिति में। पर हमने वादा किया है कि हम ज़रूर संतुलन की दिशा में कोशिश करेंगे, और सभी श्रोता, जो हमारा समर्थन देते हैं, को अच्छा परिणाम दिलवाने की कोशिश करेंगे।
चंद्रिमाः आशा है वसीम भाई आपके विचार से बिल्कुल सहमत होंगे। दोस्तो, आज का कार्यक्रम भी इस पत्र के साथ ही समाप्त होता है। अगले हफ्ते मैं चंद्रिमा और विकास आप से फिर मिलेंगे। नमस्कार।
विकासः नमस्कार।