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पेइचिंग में सब से बड़ी इनडोर व्यायामशाला
2012-07-23 15:07:49

चंद्रिमाः मनीषा बहन ने अपने पत्र में यह सवाल भी पूछा कि चीन में कौन सी कक्षा से चीनी विद्यार्थी कंप्यूटर सीखना शुरू करते हैं? अब मैं बताऊंगी। चीन में मुख्य तौर पर प्राइमरी स्कूल की तीसरी कक्षा से कंप्यूटर शिक्षा औपचारिक रूप से शुरू होती है। और कुछ उच्च स्तरीय प्राइमरी स्कूल में पहली कक्षा से ही यह शिक्षा शुरू हो जाती है। शायद कुछ गरीब व सुदूर गांव में कंप्यूटर शिक्षा खुलने की शर्त नहीं है। पर चीन के आम शहरों में ऐसी स्थिति है।

विकासः अच्छा, इस सवाल का जवाब देकर अब हम और एक पत्र पढ़ेंगे। बांग्लादेश के श्रोता एम.एम.गोलाम सरोवर ने अपने पत्र में हिन्दी भाषा में यह लिखा है कि मैं आप लोगों की हिन्दी सेवा का नियमित श्रोता हूं। हमारा परिवार हर रोज़ आप लोगों का कार्यक्रम सुनता है। और हिन्दी सेवा से भेजा गया पत्र मिला, हमें बहुत खुशी हुई। हमने एक कल्ब की स्थापना भी की , जिस का नाम है वर्ड रेडियो लिस्नर्स क्लब। इस पत्र के साथ हमने अपने कल्ब के कुछ सदस्यों का फोटो भी भेजा है। आशा है कि श्रोता वाटिका में इसे प्रकाशित किया जा सकेगा।

चंद्रिमाः गोलाम सरोवर जी, आप की इच्छा हम ज़रूर पूरी करेंगे। आप द्वारा भेजी गयी फ़ोटो हमने देखी है, वे बहुत साफ़ सुथरा व सुन्दर है। खास तौर पर क्लब का छोटा श्रोता तानिम अहमद, वह इतना प्यारा इतना नन्हा है। हमने सभी फ़ोटो श्रोता वाटिका के संपादक को सौंप दिया, और उन्हें इसे शामिल करने की सलाह भी दी। अब मेरे पास और एक पत्र है, इस में श्रोता वाटिका के लिये कुछ कविताएं व फ़ोटो भी भेजी गयी। यह पत्र चौक रोड, कोआथ, बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ से है। फ़ोटो में चार सुन्दर लड़कियां होली की खुशी मना रही हैं, बहुत अच्छा लगा। साथ ही कल्ब के प्रियंका केशरी, सुनील केशरी व रामचन्द्र केशरी ने क्रमशः कविता लिखकर हमें भेजी।

विकासः अब हम उन में से एक चुनकर पढ़ेंगे। कविता का नाम है छुक छुक चलती ट्रेन, जो प्रियंका केशरी द्वारा लिखी गयी है। कविता ऐसी हैः लंबी पलती है ये ट्रेन, छुक छुक छुक चलती ट्रेन। लाखों लागों को गोद में बिठाएं, कभी धीरे कभी तेज़ रफ्तार में जाएं। दिल्ली, मुम्बई, आगरा तक पहुंचाएं, जो बिना टिकट कटाएं बैठे। उसको भी ये खुब मज़ा चखाएं, कभी समय से कभी लेट से ट्रेन आए। यह कविता बहुत आसान व दिलचस्प है, जैसे एक बच्ची के हाथ से लिखी गयी। पर यह भारत में ट्रेन का अच्छा वर्णन करती है।

चंद्रिमाः विकास जी, ट्रेन की चर्चा करते हुए मेरे दिमाग में एक गीत आयी है।

विकासः अरे कौन सा गीत है?

चंद्रिमाः कास्तों मजा, जो फ़िल्म परिणिता का एक गीत है। फ़िल्म के पात्र सैफ अली खान ने ट्रेन में यह गीत गाया। मुझे यह बहुत पसंद है।

विकासः मुझे भी बहुत पसंद है। तो हम श्रोताओं के साथ ट्रेन की चर्चा में इस गीत का मज़ा लेंगे। ठीक है न?

चंद्रिमाः बिल्कुल ठीक है, अब लीजिये सुनिये कास्तो मजा नामक यह मधुर गीत।

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