विकासः जी हां, चंद्रिमा जी, आपने बिल्कुल ठीक कहा। ज्ञान मानव के लिये मूल्यवान् संपत्ति है। कभी कभी वह आप को खुशी भी देता है। चंद्रिमा जी, आप शायद जानती हैं कि आजकल चीन के एक टी.वी. चैनल में एक कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय है, जिस का नाम है ई चेन डाओ डी।
चंद्रिमाः मैं जानती हूं, और मैं यह कार्यक्रम बहुत पसंद करती हूं। क्योंकि इस कार्यक्रम से हमें मज़ा लेने के साथ साथ बहुत ज्ञान भी प्राप्त होते हैं। हर बार कार्यक्रम में दस उम्मीदवार व एक चुनौती देने वाला व्यक्ति शामिल हैं। जो व्यक्ति सभी उम्मीदवारों को हराकर सभी प्रश्नों का जवाब देता है, तो उन्हें बहुत मूल्यवान् पुरस्कार मिलते हैं। और सभी विफल लोगों को सज़ा के रुप में अचानक मंच से निचे उतरना पड़ता है, जो बहुत दिलचस्प है।
विकासः हालांकि इस कार्यक्रम में पेश करने वाले प्रश्न बहुत मुश्किल नहीं है, शायद बहुत लोग इस का जवाब दे सकते हैं। लेकिन प्रश्न का दायरा बहुत विस्तृत है, जो हर क्षेत्र से संपर्क रखता है। शायद कुछ लोगों को इतिहास से जुड़े प्रश्न नहीं आते, और कुछ लोगों को खेल या संस्कृति से। इसलिये सभी प्रश्न का जवाब सही सही देना एक आसान बात नहीं है। वास्तव में चंद्रिमा जी, भारत में भी ऐसा कार्यक्रम होता है, जो बहुत लोकप्रिय भी है।
चंद्रिमाः वाह, मेरे ख्याल से शायद हमारे किसी श्रोता को भी ऐसे कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिल सकेगा। और आशा है उसी समय वे चीन से जुड़े सभी सवालों का जवाब दे सकेंगे। पर पूर्वशर्त यह है कि वे ज़रूर हमारे सक्रिय श्रोता हों, और नियमित रूप से हमारे कार्यक्रम सुनते हैं या अक्सर हमारे वेबसाइट को पढ़ते हैं।
विकासः अच्छा, कार्यक्रम के अंत से पहले हम और एक पत्र पढ़ेंगे, जो करनौल, मुजफ़्फ़रपुर, बिहार के भारत रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष रजनीश कुमार द्वारा भेजा गया। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि आजकल आप के प्रसारण हमारे क्षेत्र में काफ़ी साफ़ सुनाई दे रहे हैं। मैं सी.आर.आई. का नियमित श्रोता हूं। और हमारे कल्ब के सदस्यगण भी आप के प्रसारण को नियमित पूर्वक सुनते हैं। सी.आर.आई. से हमें चीन के बारे में विस्तृत जानकारी मिलता है। हमारे कल्ब में कुल 51 सदस्य हैं। चीन और भारत की आबादी संसार में सब से ज्यादा है। दोनों देशों का इतिहास बहुत पुराना होने के साथ साथ उन के बीच आवाजाही का इतिहास भी कम से कम 2200 साल लंबा है। दोनों देशों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने मानव जाति की समृद्धि और दुनिया की प्रगति के लिये बड़ा योगदान दिया है।
चंद्रिमाः उन्होंने यह भी लिखा है कि बचपन से ही मैं अपने पापा के साथ आप का रेडियो सुन रहा हूं। पिछले 18 वर्षों में मैंने रेडियो सुनना कभी बंद नहीं किया। सी.आर.आई. का हिन्दी सेवा प्रसारण सुनना मेरे जीवन का एक भाग बन गया है। मैं हार्दिक बधाई देना चाहता हूं कि आप का प्रसारण और अच्छा हो। इधर कुछ सालों में चीन भारत संबंधों का तेज़ विकास हुआ है। सी.आर.आई. से दोनों देशों की जनता एक दूसरे को जानने समझने की तीव्र इच्छा रखती है। चीन के बारे में विस्तृत निष्पक्ष व सजीव जानकारी मुझे सिर्फ़ सी.आर.आई. के रेडियो प्रसारण और इस की वेबसाइट से ही मिल पाती है। इसी कारण हमारे कल्ब के सदस्य इस का ऊंचा मूल्यांकन करते हैं।
विकासः रजनीश कुमार जी, आप लोगों के ऊंचा मूल्यांकन करने के लिये हम सी.आर.आई. की तरफ़ से आप लोगों को तहे दिल से धन्यवाद देते हैं। साथ ही रजनीश जी ने हमें एक कविता भी भेजी है। यह कविता ऐसी है:एक अदा आप की मुस्कुराने की, एक अदा आप के दिल चुराने की, एक चांद सा चेहरा आप का, एक जिद हमारी उस चांद को पाने की। हर पल एक जिन्दा हकीकत है जिन्दगी, लेकिन बस एक निगाह की कीमत है जिन्दगी। जिन्दगी का जब सवाल आया, जाने क्यों आप का ख्याल आया। आसमान से उतारी है तारों से सजाई है, चांद की चांदनी से नहलाई है, ऐसा प्यार सम्भाल के रखना, ये मेरे जीवन भर की कमाई है।
चंद्रिमाः वाह, वाह, बहुत अच्छी कविता है। बहुत बहुत धन्यवाद, रजनीश भाई, आप ने हमें एक इतनी सुन्दर कविता लिखकर भेजी है। हम ज़रूर इसे श्रोता वाटिका के संपादक को देकर और अगले अंक में शामिल करने की कोशिश करेंगे।
विकासः अच्छा, दोस्तो, इसी के साथ आज का कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। अगले हफ्ते हम ठीक इसी समय यहां फिर मिलेंगे। नमस्कार।
चंद्रिमाः नमस्कार।