इस सीधी-सादी बच्ची और उसकी अध्यापिका की बातों से हम माता नदी के उद्गम स्थल में लोगों की महान बुद्धिमत्ता महसूस कर सकते हैं। चीन की माता नदी प्राचीन काल से ही आज तक चीनियों का पालन करती है। मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व रनछिंग लाचङ के नाम से भी महसूस हो सकता है।
चीन में सानच्यांग युआन क्षेत्र पहले नदियों से भरा हुआ स्वर्ग स्थल जैसा था, फिर पारिस्थितिकी पर्यावरण नष्ट हुआ, इसके बाद मानव जाति इसका संरक्षण करने लगी। यह ऐसी प्रक्रिया भी मानी जा सकती है कि मानव जाति पृथ्वी पर निर्भर रहती थी, फिर पृथ्वी का विकास करता था, और फिर पृथ्वी को नष्ट करता था, अंत में जागृत होकर पृथ्वी का संरक्षण करने लगा।
सानच्यांग युआन की नदियों में पानी की एक बूंद मानव जाति और सभी जीव जंतुओं का पालन करती है। वह एक माता की तरह अपने बच्चे की देखभाल करती है। तो भविष्य में हम अपनी माता को कैसे धन्यवाद देंगे?अगर हम पृथ्वी पर चिरस्थाई तौर पर रहना चाहें, पृथ्वी के संसाधनों का युक्तियुक्त उपभोग करना चाहे, तो मानव जाति के पास पानी की हर बूंद, हर नदी और हर पारिस्थितिकी प्रणाली का संरक्षण करना चाहिए। मानव जाति प्राकृतिक नियम का पालन करते हुए अपना भविष्य पकड़ सकती है।