बाख्वोर सड़क का नया रूप
ल्हासा शहर के पुराने क्षेत्र में संरक्षण, पुर्ननिर्माण और सुधार परियोजना भविष्य में लोगों के जीवन से घनिष्ठ संबंध रखती है, इस तरह की परियोजना के कार्यान्वयन को स्थानीय निवासियों का समर्थन प्राप्त हुआ है। बाख्वोर सड़क में व्यापर करने वाले व्यापारियों ने स्वेच्छा से अपनी दुकानें बंद कर वस्तु बेचने के लिए दूसरे स्थल की ओर स्थानांतरण किया, ताकि सूत्र चक्कर घुमाने आए तिब्बती बौद्ध धर्म अनुयायियों के लिए आसानी हो और उन्हें ज्यादा जगह मिल सके।
अब ल्हासा शहर के पुराने क्षेत्र में संरक्षण परियोजना का कार्यान्वयन धीरे-धीरे सूचारु रूप से किया जा रहा है। इस क्षेत्र के निवासियों के जीवन स्तर में सुधार भी हुआ है। त्सेची पुराने क्षेत्र में कई वर्षों तक तिब्बती मीठी चाय की दुकान का प्रबंधन करती हैं। उन्होंने कहा कि इस संरक्षण परियोजना से उनके पास बिजली का बिल जमा कराने के पैसे आ जाते हैं। त्सेची ने कहा:
"पहले पुराने शहरी क्षेत्र में कुछ परिवार एक साथ एक ही बिजली मीटर का प्रयोग करते थे, बिजली का बिल चाहे कितना क्यों न हो, तो सब परिवार वालों को इसका औसत भाग देना पड़ता था। परिवारों के बीच इसके कारण कई बार मतभेद और झगड़े भी हुए। लेकिन आज बिजली लाइन में सुधार किए जाने के बाद हरे एक परिवार का अपना खुद का मीटर है जो बिजली खर्च करने के अनुसार ही बिल भरते हैं। अब पहले की तरह लोगों में बिजली के बिल को लेकर विवाद नहीं पैदा होता।"
स्थानीय निवासियों के अनुसार इस संरक्षण परियोजना से उनके जीवन में वास्तविक परिवर्तन आया और जीवन स्थिति में सुधार भी हुआ है। तिब्बती नागरिक ईशी डोर्चे चौथी मंजिल पर रहती हैं। पहले पानी की सप्लाई लाईन में कम दबाव के कारण पानी उनके घर में नहीं पहुंच पाता था। लेकिन इस संरक्षण परियोजना में पुराने क्षेत्र में पानी सप्लाई और जल निकासी पाइप को लेकर सर्वांगीण सुधार किया गया है। लोगों के पेय जल मुद्दे का निपटारा किया गया। साथ ही आसपास के पर्यावरण में भी सुधार हुआ है, ये क्षेत्र अब पहसे से ज्यादा सुन्दर लग रहा है और लोग ज्यादा सामंज्यपूर्ण रूप से सह-अस्तित्व में रह रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार अब तक ल्हासा शहर के पुराने क्षेत्र में संरक्षण, मरम्मत और सुधार परियोजना का 90 प्रतिशत भाग पूरा हो चुका है। बिजली लाइन और दूर संचार में सुधार परियोजना का 80 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो गया है। योजनानुसार इस माह के अंत तक यह परियोजना पूरी हो जाएगी। अब ल्हासा शहर का पुराना क्षेत्र लोगों के सामने नए रूप में सामने आएगा।