चाय घोड़ा व्यापार का अर्थ है कि तिब्बती क्षेत्र में पैदा खच्चरों, लेजरों, जड़ी बूटियों से सछ्वान व युनन्नान प्रांतों और भीतरी क्षेत्रों में उत्पादित चाय, कपड़ों, नमक और रोजमर्रे में आने वाले बर्तनों का आदला बदली किया जाता है यानी मालों से मालों का व्यापार किया जाता है। आम तौर पर कहा जाये, तिब्बत की ओर पहुंचने वाले दो प्राचीन चाय घोड़ा रोड ही हैं, एक है कि युन्नान प्रांत के फूअड़ चाय के उत्पादन क्षेत्र से निकलकर ताली, लीच्यांग से होकर पूर्व तिब्बत व मध्य तिब्बत पहुंच जाता है, फिर च्यांगची व यातुंग गुजरकर क्रमशः नेपाल व भारत तक पहुंच जाता है। दूसरा रोड है कि सछ्वान प्रांत के याआन से निकलकर पश्चिम सछ्वान पठार गुजरकर ल्हासा पहुंच जाता है, फिर वहां से आगे चलकर नेपाल व भारत तक जाता है। ह्वांग येन ने कहा कि तिब्बत की ओर पहुंचने वाले चाय घोड़ा रोड का इतिहास बहुत पुनारा नहीं है। उनका कहना है:"फूअड़ क्षेत्र से कुल पांच निकलने वाले चाय घोड़ा रोडों में से एक है कि तिब्बत की ओर जाने वाला चाय घोड़ा रोड ही है। हमारे स्थानीय लोग राजधानी पेइचिंग की ओर जाने वाले सरकारी मार्ग को आगला रोड कहते हैं, जबकि तिब्बत की ओर जाने वाले रोड को पिछवाड़ा रोड कहते हैं। गत सदी के 60 वाले दशक में इसी पिछवाड़े रोड पर बहुत चहल पहल नजर आती थी, यातायात अहम भूमिका निभाती थी।"