कहा जाता है कि चीन के भीतरी क्षेत्रों में चाय पीने का इतिहास कोई चार हजार वर्ष से अधिक पुराना है , जब कि तिब्बत में चाय पीने का इतिहास डेढ़ हजार वर्ष भी पुराना है। चीन के इतिहास में थांग राजवंश सब से प्रतिभाशाली काल माना जाता है, सातवीं शताब्दी में राजकुमारी वन छंग और आठवीं शताब्दी में राजकुमारी चिन छंग की शादी क्रमशः तिब्बत के थुफान राजाओं से हुई, वे तत्कालीन राजधानी छांगआन से चाय समेत बहुत विविधातापूर्ण सामान बर्फीले पठारीय तिब्बत ले गयीं। उसी समय से ही बर्फीले पठार पर बसी जनता चाय पीने की आदी हो गयी है और चाय स्थानीय जीवन में एक अपरिहार्य चीज बन गयी है, बड़ी मात्रा में चाय लगातार भीतरी क्षेत्रों से तिब्बत पहुंचायी जाने लगी, तब से ही चाय घोड़ा रोड तिब्बती जनता की लाइफ लाइन के रुप में सामने आयी है।
लम्बे अर्से से चाय संस्कृति के अध्ययन में संलग्न युनन्ना प्रांत की फूअड़ चाय पत्रिका एजेंसी के उप प्रधान प्रोफेसर ह्वांग येन ने इस प्राचीन चाय घोड़ा रोड का विवरण करते हुए कहा:"चाय घोड़ा रोड का इतिहास बहुत पुराना है, ईसा पूर्व के आसपास के छिन हान काल से ही मूलभूत चाय घोड़ा रोड प्रकाश में आ गया है। थांग राजवंश काल में फूअड़ क्षेत्र में उत्पादित चाय तिब्बत के इसी प्राचीन रोड़ के माध्यम से थुफान तक पहुंचायी जाती थी। उस समय तिब्बती व्यापारी अपने घोड़े के बदले में चाय का अदला बदली करते थे, इसी तरह विश्वविख्यात चाय घोड़ा व्यापार भी प्रकाश में आ गया है।"