अमेरिका-भारत संबंध
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत पर ट्रम्प की टिपण्णी आम तौर पर सक्रिय रही है। उन्होंने कहा कि मोदी के सत्ता पर आने के बाद भारत आशावान पूंजी निवेश का स्थल बन चुका है।भारत का आर्थिक विकास अच्छा रहा है। लेकिन दूसरी तरफ ट्रम्प की अलगाववादी प्रवृत्ति से भारत चिंतित भी है। ट्रम्प ने आलोचना की कि रोजगार के मौके भारत तक निकलते हैं और भारतीय बोली पर हंसी मजाक देते हैं। भारत के प्रति उनकी पसंद के संभवतः दो कारण भारत में दो ट्रम्प इमारतें हैं।
द टाइम्स अफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि ट्रम्प ने कहा कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका-भारत संबंध बहुत अच्छे होंगे, फिर भी उन्होंने यह भी कहा कि एच-1बी कार्य वीजा लेने वाले लोगों ने अमेरिकी मजदूरों पर बड़ा असर डाला है। ट्रम्प ने यह भी कहा कि भारतीय छात्र सहित श्रेष्ठ विदेशी छात्रों को अमेरिका में रहना चाहिए। लेकिन ट्रम्प ने कहा कि अमेरिकी कंपनी के स्थानीय सुयोग्य व्यक्तियों को भरती करने के लिए अमेरिका को एच-1बी मजदूरों के वेतन को बढ़ाना चाहिए।
इंडिया टुडे की समीक्षा में कहा गया कि ट्रम्प व भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में कुछ समानताएं हैं, जिनसे उन्हें जोड़ा जा सकता है।पहला, दोनों ने भारी दबाव की स्थिति में चुनाव जीता। दूसरा, चुनाव से पहले मोदी व ट्रम्प संसद में कोई भी पद नहीं सँभाला था। तीसरा, 2002 गुजरात में दंगा होने से भारत के कुछ सांसदों और वामपंथी लोगों ने मोदी पर मुसलमान विरोधी का आरोप लगाय। हालांकि मोदी ने इस्लाम धर्म के विरोध में कोई बात नहीं कही थी। लेकिन ट्रम्प ने मुसलमानों के अमेरिका में प्रवेश करने पर पाबंदी लगाने की बात कही थी।