जैसा कि हम जानते हैं, चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार पड़ोसी देश भारत से हुआ। उक्त स्टोन कार्विंग्स के निर्माण का उद्देश्य "आवृत" बौद्ध कहानियों के माध्यम से चीनी लोगों को सरल तरीके से बौद्ध हस्तलिपि और बौद्ध धर्म को समझाना था।
पत्थरों पर नक्काशी ता चू काउंटी के पेइ शान, पाओ तिंग शान, नान शान, शमन शान और शचुआन शान आदि में व्यापक तौर पर देखी जा सकती है, जो कि पूरी तरह संरक्षित की गई है। ता चू में बनी स्टोन कार्विंग्स वाकई में बहुत प्रभावित करने वाली हैं।
वहीं पाओ तिंग शान, ता चू काउंटी के 15 किमी. दूर उत्तर-पूर्व में घोड़े की नाल के आकार की घाटी (यू आकार) में स्थित है। जिसे बुद्ध घाटी के नाम से भी जाना जाता है। पाओ तिंग शान में मौजूद स्टोन कार्विंग्स का निर्माण 800 साल पहले दक्षिण सोंग राजवंश के दौरान शुरू हुआ था। यहां पत्थरों की नक्काशी के 13 समूह मौजूद हैं। जिसमें लगभग चट्टानों पर बनी लगभग 10 हज़ार मूर्तियां शामिल हैं। यहां स्थापित और संरक्षित मूर्तियों में बुद्ध के अविलोकितेश्वर अवतार, पशु रूप वाली मूर्तियां सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं।
प्रत्येक मूर्ति बौद्ध धर्म से जुड़ी अलग-अलग कहानी बयान करती है, मूर्तियों पर अंकित तस्वीरों के माध्यम से प्राचीन बौद्ध धर्म को गहराई से समझने में मदद मिलती है। यह उस समय के लोगों की लौकिक समझ और बौद्ध धर्म की सृजनात्मक सोच को दर्शाती हैं।
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