गत् 80 के दशक में चीनी जनता का सामान्य जीवन स्तर उन्नत नहीं था। देहाती लोगों के ख्याल से खुदी तस्वीर बनाना एक औपचारिक काम नहीं है। जिससे कोई कमाई नहीं हो सकती और इस का कोई भविष्य भी नहीं है। इसलिये तमाम लोग नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे इसे सीखें। लेकिन तस्वीर बनाने के बड़े शौक और जिज्ञासा से ली छनची अपने मां-बाप को बताए बिना सांस्कृतिक भवन में जाकर सीखती थी। हालांकि तीस वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन ली को पुरानी बातें पूरी तरह याद हैं। उन्होंने कहा,उस समय हम गांव में रहते थे। हर दिन खेती का काम करते थे। काऊंटी में स्थित सांस्कतिक भवन में प्रशिक्षण आयोजित हुआ। लेकिन मैं वहां जाने से डरती थी। क्योंकि मां-बाप ने इस का विरोध किया। घर में कामकाज करने के लिये मेरी जरूरत थी। तो हर दिन मैं बहुत जल्दी उठती थी, घर का काम पूरा कर चुपचाप से वहां जाकर प्रशिक्षण लेती थी। पर मां-बाप ने यह जानकर मेरी आलोचना की। लेकिन मैंने पेंटिंग बनाना जारी रखा। उस समय सांस्कृतिक भवन में रंग होते थे। लेकिन हमें खुद पेंटिंग करने के लिए बोर्ड लाना होता था। तब जीवन बड़ा मुश्किल था। इसलिये बोर्ड खरीदना भी आसान नहीं होता था। कई लोगों ने घर के चॉपिंग बोर्ड में यह काम शुरू किया।
छीच्यांग की किसान प्रिंट पेंटिंग
2016-10-23 19:39:07 cri