Wednesday   Aug 13th   2025  
Web  hindi.cri.cn
संडे की मस्ती 2015-09-13
2015-09-11 11:14:47 cri

यांग- चलिए दोस्तों, अब हम अखिल जी से सुनते हैं एक प्रेरक कहानी। कहानी का शीर्षक है पुराना रिवाज़

अखिल- दोस्तों, रेगिस्तान के बीच बसे एक शहर में फलों की बहुत कमी थी. भगवान ने अपने दूत को भेजा कि जाओ और लोगों से कह दो कि हो सके तो वो एक दिन में बस एक ही फल खाएं. सभी लोग ऐसा ही करने लगे।

पीढ़ी दर पीढ़ी ऐसा ही होता चला आया और वहां का पर्यावरण संरक्षित हो गया। चूँकि बचे हुए फलों के बीजों से और भी पेड़ निकल आते , कुछ दशकों में ही पूरा शहर हरा-भरा हो गया।

अब वहां फलों की कोई कमी नहीं थी लेकिन अभी भी लोग एक दिन में बस एक ही फल खाने का पुराना रिवाज़ मानते थे वे अपने पुरखों द्वारा दी गयी नसीहत के प्रति अभी भी वफादार थे। दूसरे शहर वाले उनसे बचे हुए फलों को देने का आग्रह करते पर उन्हें लौटा दिया जाता. नतीजतन टनो टन फल बर्बाद हो जाते और सड़कों पर इधर -उधर बिखरे पड़े रहते।

भगवान ने एक और दूत को बुलाया और कहा , " जाओ नगर वासियों से कह दो कि वो अब जितना चाहें उतने फल कहें और बचे हुए फलों को बाकी शहरों को दे दें।"

दूत यही सन्देश लेकर शहर पहुंचा लेकिन उसे पत्थरों से मार गया और शहर से दूर भगा दिया गया। लोगों के दिलो -दिमाग में पुरानी बात इतनी बैठ चुकी थी कि उससे अलग वो किसी भी बात को मानने के लिए तैयार नहीं थे।

पर समय के साथ कुछ युवा सोच वाले लोग पुराने रिवाजों के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे। लेकिन इतनी पुरानी परंपरा को छोड़ना आसान न था इसलिए इन लोगों ने अपना धर्म ही छोड़ दिया और अब जी भर के फल खाने लगे और बचे हुए फलों को दूसरों में बांटने लगे।

कुछ सालों में बस वो ही लोग धर्म को मानने वाले बचे जो खुद को संत मानते थे. लेकिन हकीकत में वे ये नहीं देख पा रहे थे कि दुनिया कैसे बदलती है और कैसे खुद को समय के साथ बदल लेना चाहिए।

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12
आपके विचार (0 टिप्पणियां)
कोई टिप्पणी नहीं
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040