सब्जी की क्यारियां
यहां सीमा रेखा हुहुडंदले पर्वत के शिखर को पार करती हुई आगे चली जाती है और इस विशाल पर्वत के मध्य में सानछाखो नामक स्थान पर सीमा चौकी स्थापित है। इसकी ऊंचाई समुद्र सतह से 1700 मीटर है। पर्वत पर पत्थर व पीले रेत फैले हुए हैं और मिट्टी की बहुत कमी है।
यहां के सीमा रक्षकों ने सब्जी उगाने के लिए गाड़ी व बस्ते से मिट्टी ला-लाकर कुल 39 छोटी-छोटी क्यारियां तैयार की हैं। अब यहां खाने को ताजा सब्जियां मिलती हैं और 100 लिकोमीटर दूर सानथाडंहू नामक स्थान से मंगाने की जरूरत नहीं पड़ती।
संयोग से पिछले साल जुलाई में मंगोल गणराज्य की तरफ से एक जोरदार पहाड़ी बाढ़ आई, बाढ़ की लहर 3 मीटर से ज्यादा ऊंची थी और यह बाढ़ इन 39 क्यारियों की मिट्टी बहा ले गई। जब मैं यहां पहुंचा तो मैंने देखा कि पथरीले पुलिन पर सब्जी की नयी क्यारियां फिर से तैयार हो गई हैं। सीमा रक्षकों ने हमें बताया कि ये क्यारियां खून पसीने से सींची गई हैं।
यहां की एक दूसरी सीमा चौकी की दीवार पर एक सूची टंगी थी, जिसपर लिखा थाः
अप्रैल में प्राप्त फसलें :अजवाइन 17 किलो, पालक 161.5 किलो, गोभी 54 किलो और मई में प्राप्त फसलें:मूली 70 किलो, ककड़ी 95 किलो और सेम 30.5 किलो।