ऐतिहासिक अवशेष
महानहर चीन के अत्यन्त विकसित व समृद्ध इलाकों से गुजरकर बहती थी और इस का उत्थान व पतन चीन के ऐतिहासिक विकासक्रम से घनिष्ट रूप से जुड़ा हुआ है। स्वेई राजवंश के सम्राट वन ने सन् 587 में छाडंच्याडं नदी तक जाने वाली शानयाडं नहर की मरम्मत करवाई। इस मरम्मत का काम सन् 588 में पूरा हुआ। सन् 589 में सम्राट वन ने दक्षिण चीन में छन राज्य पर कब्जा कर लिया और चीन का पुनःएकीकरण किया, इस प्रकार चीन में विघटन की स्थिति जो गत 360 वर्षों तक बनी रही थी समाप्त हो गई। आठवीन शताब्दी के मध्य में थाडं राजवंश की राजधानी छाडंआन(आज का शीआन) की क्वाडंयुन झील में जल परिवहन की वस्तुओं की एक प्रदर्शनी लगाई गई। झील के तटों पर 200 से 300 तक की संख्या में पानी के जहाज खड़े थे, हर जहाज पर अलग अलग प्रदेश का नाम लिखा था और उस में सम्राट को भेंट की जाने वाली स्थानीय चीज़ें प्रदर्शित थीं।
इस महानहर ने अपने तटवर्ती शहरों जैसे हाडंचओ, सूचओ, याडंचओ, थ्येनचिन और पेइचिडं का न केवल विकास किया, बल्कि उस ने समृद्ध भी बनाया। चीन के छै मशहूर पुराने शहरों में काएफडं, हाडंचओ और पेइचिडं का विकास भी महानहर की बदौलत हुआ। प्येनश्वेइ नदी के तट पर स्थित खाएफडं स्वेइ व थाडं राजवंशों में महानहर की खुदाई शाही अनाज के परिवहन का एक महत्वपूर्ण घाट था। उत्तरी सुडं राजवंश ने केंद्रीय शाही सरकार की अनाज व उपहारों की जरूरत के मुताबिक अपनी राजधानी खाएफडं में कायम की, जहां छाडंच्याडं नदी व ह्वाएहो नदी के इलाकों से सामान आसानी से पहुंचाया जा सकता था। यही वजह थी कि बाद में "पूर्वजों के स्मृति-पर्व के मौके पर नदी-तटों की चहल-पहल" शीर्षक चित्र में वर्णित खाएफडं की समृद्धि का होना संभव हो सका। दक्षिणी सुडं राजवंश ने भी महानहर की सुविधाओं के कारण ही अपनी राजधानी की स्थापना हाडंचओ शहर में की थी। समकालीन महान कवि लू यओ ने कहा:"स्वेई राजवंश के सम्राट याडं ने 400 किलोमीटर लम्बी और 100 फुट चौड़ी महानहर खुदवाई थी। यही कारण है कि शाही दरबार की स्थापना हाडंचओ शहर में की गई।" पेइचिडं शहर महानहर के उत्तरी छोर पर स्थित है और यहां स्थित शसाहाए शाही अनाज के परिवहन का एक घाट था तथा उस समय यहां जहाजों का जमघट लगा रहता था। इस महानहर के जरिए पेइचिडं में अनाज, रेशमी कपड़े, चीनी मिट्टी के बर्तन लाए जाते थे।