सम्राट याडं द्वारा नहर का निर्माण
महानहर के तटवर्ती इलाके में स्वेई राजवंश(581-618ई.) से सम्राट याडं द्वारा खिला हुआ "छ्युडं" फूल देखने की लालसा में महानहर खुदवाने की कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक देवी ने जेड का एक टुकड़ा जमीन में दबा दिया, जिससे "छ्युडं" नामक फूल उग आया। यह फूल चीनी केलेंडर के अनुसार हर अधिवर्ष में खिलता है। फूल की हर पंखुड़ी जेड की प्लेट की तरह बड़ी होती है और इस का पराग जेड-तितली के समान होता है। फूल की खुशबू दूर-दूर तक महकती है। सम्राट याडं ने खिले "छ्युडं" फूल का आन्द उठाने के लिए बेगार के जरिए महानहर खुदवाई और वह नागराज-नौका पर सवार होकर याडंचओ नगर आ पहुंचा। लेकिन जब वह याडंचओ नगर में दाखिल हुआ, तो "छ्युडं" फूल मुरझा चुका था और फूल की पंखुड़ियां हवा में बिखर चुकी थीं। सम्राट याडं की एय्याशी व बेगार लेने की कार्यवाही से आम जनता रुष्ट हो गई और देश के 18 स्थानों में जोरदार विद्रोह भड़क उठा और आखिरकार स्वेई राजवंश का तख्ता उलट गया।
लेकिन वास्तव में स्वेई राजवंश में महानहर की खुदाई सम्राट याडं के पिता सम्राट वन ने शुरू की थी। सन् 587 में सम्राट वन ने दक्षिण चीन की अशान्ति दूर करने के लिए प्राचीन हान नहर के तमाम मोड़ों को समतल करवाया, शानयाडं शहर खुदवाई और ह्वाएहो नदी का पानी दक्षिण की ओर याडंचओ नगर से होते हुए छाडंच्याडं नदी में बहाया। सम्राट के सिंहासन पर आने के बाद सम्राट याडं ने दक्षिण चीन पर अपना शासन मजबूत बनाने और वहां की संपत्ति हथियाने के लिए सन् 605 में एक लाख बेगारों से थुडंची नहर खुदवाई। यह नहर लोयाडं शहर से खाएफडं शहर होती हुई ह्वाएआन आकर ह्वाएहो नदी तक पहुंचती थी और यहां वह शानयाडं नहर से मिलकर छाडंच्याडं नदी से जुड़ती थी। सन् 610 में फिर चनच्याडं से हाडंचओ तक दक्षिणी नहर खोदी गई। उत्तर-पूर्वी चीन की ओर कूच करने केलिए 608 ई. में थुडंची नहर खोदी गई, जो लोयाडं शहर से शानतुडं प्रांत के लिनछिडं व तचओ तथा पेइचिडं तक पहुंचती थी। इस प्रकार महानहर लोयाडं शहर से दक्षिण की ओर हाडंचओ तक और उत्तर की ओर पेइचिडं तक जाती थी और इस की कुल लम्बाई 2700 किलोमीटर थी।