उत्तर व दक्षिण को जोड़ने वाली महानहर
जब से य्वान राजवंश ने अपनी राजधानी पेइचिडं स्थापित की, तब से राजनीतिक व सैनिक केंद्रों का स्थानान्तरण मध्य चीन से पेइचिडं में हो गया और आर्थिक केंद्र दक्षिण चीन में ही बना रहा। इस प्रकार पहले की नहर-व्यवस्था जरूरत के मुताबिक नहीं रही और सीधे तौर पर पेइचिडं व दक्षिण चीन को जोड़ने वाली व्यापक जल-परिवहन व्यवस्था का निर्माण अत्यावश्यक हो गया। 1283 में 75 किलोमीटर लम्बी चीचओ नहर खोदी गई, जो शानतुडं प्रांत के दक्षिण में स्थित चीनिडं से उत्तर की ओर तुडंफिडं तक जाती थी। छै वर्ष बाद तुडंफिडं से लिनछिडं नहर खोदी गई। 1292 में विख्यात सिंचाई परियोजना विशेषज्ञ क्वो शओचिडं के तत्वावधान में पेइचिडं से थुडंश्येन तक जाने वाली थुडंह्वेइ नहर खोदी गई। इस तरह महानहर हाडंचओ से सीधे पेइचिडं तक पहुंची और इस की कुल लम्बाई 1794 किलोमीटर थी तथा स्वेइ राजवंश की नहर के मुकाबले इस का फासला करीब 1000 किलोमीटर कम था।
हाडंचओ पेइचिडं नहर दुनिया में खोदी गई सर्वप्रथम और सब से लम्बी नहर थी। यह चच्याडं, च्याडंसू, शानतुडं, हपेइ, थ्येनचिन व पेइचिडं से होते हुए बहती थी और छ्येनथाडं, छाडंच्याडं, ह्वाएहो, पीली नदी व हाएहो इन पांच बड़ी नदियों को जोड़ती थी। यही कारण है कि यह महानहर लम्बी दीवार की तरह चीन के दो महान करिश्मों में गिनी जाती है और "पूर्व का करिश्मा" मानी जाती है।