उन्होंने कहा कि पूर्वी देशों की कला के क्षेत्र में भारत एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधि देश है। च्यांग च्यून ने भारत के कुछ प्रमुख नृत्य सीखे थे। भारतीय नृत्य सीखने के लिए वे कई बार वहां गईं थीं।
पिछली शताब्दी के 7वें दश्क के अंत में च्यांग च्यून का काम नृत्य का अभिनय करने से पूर्वी देश के नृत्य के वंशजों को तैयार करने में बदल दिया गया। सुश्री च्यीन शान शान भारतीय नृत्य में उनकी एक श्रेष्ठ छात्रा हैं। अपनी अध्यापिका जैसी सुश्री च्यीन शान शान ने कई बार भारत में नृत्य सीखा जिसमें विभिन्न प्रकार के शास्त्रीय नृत्य शामिल हैं। उसे अपनी अध्यापिका से नृत्य कौशल सीखने के साथ साथ कलाओं की लगातार खोज की भावना भी महसूस होती है। आजकल सुश्री च्यीन शान शान भारतीय नृत्य के छात्रों को शिक्षा देने का काम भी करती हैं। सुश्री च्यांग च्यून का निधन होने की पहली बरसी के अवसर पर च्यीन शान शान और च्यांग च्यून के अन्य छात्रों के साथ सुन्दर नृत्य और मधुर गीतों से अपनी अध्यापिका की याद की।
सुश्री च्यीन शान शान ने कहा कि मेरी अध्यपिका च्यांग च्यून के अनेक छात्र हैं। वे सभी श्रेष्ठ कलाकार हैं। मैं च्यांग च्यून की एक छात्रा हूं और मेरे पास भी अनेक छात्र हैं। आज हम और च्यांग च्यून के सहयोगियों के साथ मिलकर इस तरह के एक समारोह में उनकी याद करते हैं। और इस तरह से पूर्वी देशों के नृत्य करने की भावना पीढ़ी दर पीढ़ी आगे प्रचार-प्रसार की जाएगी। साथ ही युवा पीढ़ी को बताया गया है कि यह कार्य निरंतर आगे बढाने की जरूरत है।