हाल के वर्षों में स्लमडॉग करोड़पति और थ्री इडीयट्स जैसी कुछ मशहूर भारतीय फिल्में चीन में दिखाई जाने के बाद अधिकाधिक चीनी लोगों को भारतीय गीत-संगीत और नृत्य पसंद आ रहा है। चीन में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो भारतीय नृत्य कला सीखने और इस का अध्ययन करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिससे चीन में भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार को आगे बढ़ाया जा सके। तुंग फांग संगीत-नृत्य समूह की नर्तकी च्यांग च्यून उनमें से एक हैं। भारत में सुश्री च्यांग च्यून को 20वीं शताब्दी में श्येन च्यांग माना जाता है। हाल ही में सुश्री च्यांग च्यून का निधन होने की पहली बरसी के अवसर पर उनके छात्रों ने चीन के गीत-संगीत विद्यालय में उनकी स्मृति में एक बड़े समारोह का आयोजन किया। मधुर संगीत और सुन्दर नृत्य के माध्यम से लोगों ने एक साथ नर्तकी च्यांग च्यून की याद की और भारतीय संस्कृति की विशेषता और विविधता को महसूस किया।
तुंग फांग संगीत-नृत्य समूह वर्ष 1962 में 13 जनवरी को स्थापित हुआ था। च्यांग च्यून तुंग फांग नृत्य कक्षा की अध्यापिका और प्रमुख नर्तकी थी। वे इस समूह के संस्थापकों में से एक थीं। चीन के प्रथम प्रधानमंत्री च्यो एन लाई ने तुंग फांग संगीत-नृत्य समूह के सदस्यों को यह उम्मीद दी थी कि तुंग फांग संगीत-नृत्य समूह के गीत-संगीत और नृत्य एक पुष्प के जैसा है। उन सदस्यों को एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका की कला सीखना चाहिए और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में हमेशा कला के प्रोत्साहन का प्रयास करना चाहिए। और यह च्यांग च्यून जैसे तुंग फांग संगीत-नृत्य समूह के सदस्यों द्वारा लगातार 50 वर्षों से इस दिशा में प्रयास जारी है। नर्तकी च्यांग च्यून ने प्रधानमंत्री च्यो एन लाई की आशा के अनुसार अपने पूरे जीवन को तुंग फांग संगीत-नृत्य समूह के नृत्य कार्य में दिया था। तुंग फांग संगीत-नृत्य समूह की स्थापना करने के बाद ही च्यांग च्यून ने इंडोनेशिया, कम्बोडिया और म्यांमार जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों का नृत्य सीखा था। उन्होंने कई बार प्रधानमंत्री च्यो एन लाई के साथ एशिया के विभिन्न देशों की यात्रा भी की थी और स्थानीय नृत्य और कला से चीन के लोगों की उनके प्रति मैत्री भी दिखाया, जिससे उन देशों के लोगों ने चीनियों का भरपूर स्वागत किया।