चीन में एक कहावत है कि एक बार देखना सौ बार सुनने से बेहतर है। भारत के बैंगलोर से आए 11 विद्यार्थियों के लिए एक हफ्ते की चीन यात्रा के बाद उन्हें इस कहावत का महत्व पता चला। पहले उन्हें केवल पुस्तकों से चीन की जानकारी मिलती थी, अब अपनी यात्रा से उन्होंने सही मायने में चीन को देखा।
ये 11 विद्यार्थी अलायंस विश्वविद्यालय के 2012 एम.बी.एई से आए हैं। वर्तमान चीन की यात्रा उनके विश्वविद्यालय का एक विदेशी शिक्षा मुद्दा है, जिसका शीर्षक है"तेज आर्थिक विकास करने वाला चीन"। इस मुद्दे की योजना में चीन के दो सबसे आधुनिक शहरों पेइचिंग और शांगहाई की यात्रा शामिल है। इन विद्यार्थियों को पुस्तक और मीडिया से चीन के बारे में अधिक जानकारी मिली है।
उन्होंने कहा कि पहले हमें अक्सर पुस्तकों से चीन के बारे में जानकारी मिलती है। हमें य्वान और मिंग राजवंश का इतिहास, महान दीवार का निर्माण, चीनी साधु को भारत में सूत्र मिलने की कहानी मालूम है। विश्वविद्यालय की शिक्षा शुरू करने के बाद मैंने चीन के विकास से संबंधित कक्षाओं में भाग लिया। मैंने यह सुना था कि चीन में 3 हजार से अधिक विश्वविद्यालय हैं। कुछ फिल्मों और टी.वी कार्यक्रमों में चीन और चीन-भारत संबंधों के विषय पर है। इसलिए मैं हमेशा चीन की यात्रा करना चाहता था।
अब चीन की यात्रा करने का इन विद्यार्थियों का सपना पूरा हो गया। लेकिन पुस्तकों और मीडिया से मिलने वाली चीन के बारे में जानकारी अपनी आंखों से देखने वाले चीन से भिन्न है।
एक विद्यार्थी का नाम है दर्शन रुद्रैया है। पेइचिंग और शांगहाई की यात्रा के बाद उन्हें यह लगता है कि अपनी आंखों से देखा चीन किताब में लिखने वाले चीन से बेहतर और सुखद है। एक अन्य विद्यार्थी बी. नंदिनी ने प्रसन्नता से कहा कि पहले हमने पुस्तकों में देखा है कि चीन एक बड़ा देश है, संसाधन प्रचुर है और जनसंख्या विशाल है। यहां आने के बाद मुझे लगता है चीन एक बहुद सुन्दर देश है। विशेषकर यहां सूचना और यातायात आदि संस्थापनों का निर्माण बेतहर है, जो विश्व के कुछ विकसित देशों से भी अच्छा है। उन्हें शांगहाई शहर बहुत पसंद है।