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वैश्रिविक पटल
2013-05-29 09:21:30

चीन में इंजीनीयरिंग की पढाई कर रहें एक भारतीय छात्र ने कहा कि अगर हम बिजली व्यवस्था की बात करें तो चीन में परमाणु बिजली घरों के माध्यम से चीन के लगभग हर एक भाग में अबाधित बिजली व्यवस्था है। ये बताने की ज़रूरत नहीं है कि कल कारखाने चलाने के लिये अबाधित बिजली की कितनी ज़रूरत होती है। व्यापार वाणिज्य को बेहतर बनाने में बिजली की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये बात हम भारतवासी अच्छी तरह समझ सकते हैं। वर्तमान में भी पूरे विश्व में 50 नए परमाणु संयंत्र लगाने का काम चल रहा है जिनमें से 25 परमाणु संयंत्र चीन में बनाने का काम चल रहा है। इससे साफ तौर पर समझा जा सकता है कि चीन अपने लोगों की ज़रूरतों को लेकर कितना गंभीर है। जबकि भारत में वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने एक योजना तैयार की थी, जिसके तहत वर्ष 2012 तक पूरे देश में बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया था। अफसोस है कि इस योजना के क्रियान्वयन की गति बेहद धीमी है। आज भी तीन में से एक भारतीय तक बिजली की पहुंच नहीं है। जिन इलाकों में बिजली पहुंच भी गई है, वहां इसकी आपूर्ति बहुत कम है। वर्तमान में देश में प्रति व्यक्ति बिजली उपभोग विश्व के औसत का एक-तिहाई है। यह चीन के औसत उपभोग का 35 फीसदी और ब्राजील का 28 फीसदी है।

इसके अलावा कई भारतीय छात्र जो चीनी भाषा में मास्टर डिग्री कर रहें है, उन्होंने नीतियों से संबंधित अपने विचार व्यक्त किए और बताया कि योजनाएं भारत में भी बनती हैं, लेकिन चीन में आवश्यकता के हिसाब से नीतियां तुरंत बनाई और अमल में लाई जाती हैं जिससे किसी भी परियोजना पर होने वाला खर्च कम होता है। उत्पादन जल्दी शुरु होता है और उसका फायदा भी लोगों तक जल्दी पहुंचता है। वहीं दूसरी तरफ अगर हम भारत पर नज़र डालें तो स्थिति एकदम विपरीत है। नीतियां तो बन जाती हैं लेकिन वर्षों बीत जाते हैं उन्हें अमल में लाने में। चीन में लोगों को रोज़गार देने के लिये सरकार की नीतियां ज्यादा कारगर हैं। अगर सिर्फ राजधानी बीजिंग की बात करें तो यहां पर आबादी के बढ़ने के साथ साथ बीजिंग के क्षेत्रफल में भी फैलाव किया जाता है।

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