समय हो गया था, ज्याओज़ को पानी से बाहर निकालने का। "तेरा लाख-लाख शुक्र है, भगवान!" मेरे ज्याओज़ खौलते पानी से अपनी जंग लड़ पूरी तरह पककर बाहर आकर बिल्कुल ऐसे दिख रहे थे जैसे किसी जंग को जीतकर सैनिक के चेहरे पर मुस्कान होती है। मैंने उन्हें थाली में सजाया, सोया सॉस के साथ और रखी अपनी दूसरी डिश। इतने में घंटी बंजी और घोषणा हुई कि आपका समय समाप्त हुआ। निर्णायक दल आपके बनाए व्यंजनों को चखेंगे। मेरे बनाए व्यंजनों के बारे में निर्णायक के कॉमेंटस तो आप पहले ही पढ़ चुके हैं। अब समय है निर्णय का तो, पहले स्थान पर रही क्रोएशियाई महिला, दूसरे स्थान पर केनडा से आए पुरुष और तीसरे पर रही मैं यानी भारत से आई हेमा कृपलानी और चौथे स्थान पर अमरीका से आए पुरुष। पहले स्थान पर न आने का मुझे ज़रूर अफसोस रहेगा लेकिन जीतने से ज्यादा अहम है भाग लेना। वह मैंने किया और सीखा कुछ नया, कुछ अलग और बने कुछ बहुत प्यारे दोस्त। तो पहला इनाम न सही पर मेरे तो दोनों हाथों में आ गए लड्डू। तो आप भी इन मीठे लड्डुओं का मज़ा लें, मैं भी लेती हूँ विदा आपसे अपने अगले ब्लॉग तक। और हाँ, डंपलिंग(ज्याओज़) व तोफू(सोयाबीन से बना पनीर) के साथ हरा प्याज कैसे बनाते हैं, इस बारे में हम ज़रुर बात करेंगे न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में।
हेमा कृपलानी