मुझे चाकू दो- मुझे चाकू चाहिए करते हुए इधर-उधर दौड़ी। आज जाकर समझ आया कि अपने घर की रसोई में खाना पकाना और किसी दूसरे की रसोई में खाना पकाने में कितना अंतर है और कितनी मुश्किल होती है। उसके साथ-साथ लोगों की भीड़ आपको घेर कर खड़ी है और भीड़ में खड़ी खाना पकाने में अनुभवी महिलाओं की चीनी भाषा में लाइव कॉमेंटरी मुझे पूरी तरह से भ्रमित करने के लिए तैयार थीं। पहले बीस मिनट मैं पूरी तरह से उलझी हुई थी। उसके बाद मैंने खुद को समेटा और पूरी लगन से बनाने लगी डंपलिंग(ज्याओज़)। मैदे में पालक और तोफू(सोयाबीन से बना पनीर) का मसाला बना कर गुझिया का आकार देकर पानी में उबाला जाता है और साथ में तोफू और हरा प्याज़ का मसाला। मेरे डंपलिंग(ज्याओज़) तैयार थे और अब बारी थी वोक यानी कड़ाही में पानी गर्म करने की और उसमें डंपलिंग(ज्याओज़) डालकर उबालने की। वोक इतनी बड़ी और मेरे बेचारे ज्याओज़ नन्हे से ,मासूम से उसमें खो जाएँगे। यह डर मुझे सताने लगा लेकिन कोई और विकल्प नहीं था खौलते हुए पानी में मैंने अपने नन्हे-मुन्ने, प्यारे से ज्याओज़ भगवान का नाम लेकर डाले। लेकिन बॉय गॉड आपको क्या बताऊँ, पास खड़ी चीनी महिलाओं में से किसी ने कहा ये कड़ाही से चिपक जाएँगे तो दूसरी ने कहा ये फट जाएँगे। मेरी हालत खराब हो रही थी और भगवान जी को फुल स्पीड से याद कर रही थी।