चंद्रिमाः अगला पत्र हमारे पास शिवहर बिहार से आया है। इसे लिखने वाले हैं मुकुंद कुमार जी,जो कि पूज्य महात्मा गांधी रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष हैं। ये लिखते हैं कि सी.आर.आई. हिन्दी सेवा का हर कार्यक्रम इन्हें दिल को छू लेने वाला लगता है। इनकी मांग है कि आपका पत्र मिला कार्यक्रम का प्रसारण बढ़ाया जाए। इसे सप्ताह में दो बार किया जाए। ये ऐसा इसलिये कह रहे हैं क्योंकि इनका पत्र अभी तक नहीं लिया गया है। तो मुकुंद जी आपकी ये शिकायत अब तो दूर हो गई होगी। इस बार हमने आपका पत्र अपने कार्यक्रम में शामिल कर लिया है।
पंकजः मुकुंद जी ने अपने पत्र में अपने रेडियो लिस्नर्स क्लब के सदस्यों का विवरण भी हमें भेजा है। इस क्लब के वाइस प्रेसिडेंट अमित कुमार जी हैं। सचिव हैं प्रिंस कुमार, उप सचिव हैं अमन कुमार और कोषाध्यक्ष हैं अजित कुमार। इसके अलावा इन्होंने श्रोता क्लब के सदस्यों के नाम भी लिख भेजे हैं लेकिन समय के अभाव के कारण हम उनके नामों का ज़िक्र नहीं कर पाएंगे, लेकिन हम अपने बाकी श्रोताओं को ये बता दें कि इनके श्रोता संघ में 20 सदस्य हैं। इनकी हमसे विनती है कि हम इनके श्रोता संघ को रजिस्टर्ड करें और अपने कम्प्यूटर में डाल दें। ज़रूर मुकुंद जी ये कोई कहने वाली बात है क्या, हमने ये काम कार्यक्रम बनाने से पहले ही कर लिया है, और आपके क्लब का नाम अपने कम्प्यूटर में डाल दिया है।
चंद्रिमाः इन्होंने अपना ई मेल भी भेजा है, और कहा है कि हमारा भी इंटर्व्यू लिया जाए। मुकुंद जी आप चिंता न करें, हम जल्दी ही आपका इंटर्व्यू भी लेंगे और आपकी ये शिकायत भी दूर करेंगे। दरअसल पंकज जी हम अपने श्रोताओं को ये बताना चाहते हैं कि भारत के कई क्षेत्रों से हमारे पास इतने सारे पत्र आते हैं। अगर हम सभी पत्रों को अपने कार्यक्रम में शामिल करें, तो शायद सुबह से शाम तक हर दिन आप का पत्र मिला कार्यक्रम ही सुनाना पड़ेगा और फिर भी पत्र खत्म नहीं होंगे।
पंकजः जी हां, चंद्रिमा जी, आपने बिल्कुल ठीक कहा। अच्छा दोस्तों, इतनी बातें करके आप लोग शायद ज़रा थक गए होंगे, तो अब हम एक साथ एक मधुर चीनी गीत का मज़ा लेंगे। ठीक है न?
चंद्रिमाः अच्छी राय है। पंकज जी, आजकल मैंने एक बहुत दिलचस्प चीनी गीत सुना, गीत के बोल हैं विश्व में नंबर दो बनें। इस गीत में यह तथ्य साबित किया गया है कि इस विश्व में शायद पहला स्थान पाने की ज़रूरत नहीं है, पर खुशी पाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। श्रोता दोस्तों, क्या आप इससे सहमत हैं?तो हमें पत्र भेजकर बता सकते हैं। अब हम साथ साथ सुनें यह मधुर गीत।
पंकजः दोस्तो, इस मधुर गीत के साथ आज का आप का पत्र मिला कार्यक्रम भी समाप्त होता है। अगले हफ्ते हम ठीक इसी समय यहां फिर मिलेंगे। अब पंकज और चंद्रिमा को आज्ञा दें, नमस्कार।
चंद्रिमाः नमस्कार।