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चीन का राष्ट्रीय दिवस
2012-09-30 16:11:57

चंद्रिमाः हमारी अगली श्रोता हैं रूपा चटर्जी और ये हमें पत्र लिखती हैं जौहरी कोठी, समस्तीपुर, बिहार से। इनका पत्र पढ़ने से पहले मैं इनकी सुंदर हैंड राइटिंग की तारीफ किये बिना नहीं रह सकती। रूपा जी आपकी लिखाई यानी हैंड राइटिंग को अगर ऐसे कहा जाए कि सुंदर सुंदर मोतियों को अच्छी तरह सजाकर रखा गया है, तो गलत नहीं होगा। वैसे भी आम तौर पर इतनी सुंदर लिखाई कम ही देखने को मिलती है।

पंकजः चलिये अब रूपा जी के पत्र को भी पढ़ लेते हैं। रूपा जी ने अपने पत्र में हमसे ढेरों सवाल पूछे हैं। पत्र में सबसे पहले इन्होंने लिखा है कि समय समय पर ये हमारा कार्यक्रम सुनती और पसंद करती हैं। रूपा जी चीन की युवतियों के जीवन के बारे में जानना चाहती हैं। ये पूछती हैं कि क्या चीन में युवतियां प्रेम करती हैं। और उसके बाद शादी भी क्या अपने प्रेमी से ही करती हैं?क्या चीन में भी बलात्कार की घटनाएं होती हैं और दोषी को न्यायालय से क्या सज़ा मिलती है?

चंद्रिमाः अच्छा, अब मैं एक एक करके बताऊंगी। चीन में युवतियां स्वतंत्रता से प्रेम करती हैं। और केवल प्रेम के बाद वे अपने प्रेमी के साथ शादी कर सकती हैं। न सिर्फ़ शहरों में बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऐसी स्थिति में है। नयी पीढ़ी के युवाओं के विचार में यह असंभव है कि प्रेम के बिना शादी की जा सकती है। दूसरे सवाल का जवाब यह है कि विश्व के अन्य देशों की तरह चीन में बलात्कार की घटनाएं भी होती हैं। और ऐसे दोषी को तीन साल से दस साल तक के कैद की सज़ा मिलेगी। अगर अपराध बहुत गंभीर है, तो उन्हें मौत की सज़ा या अनिश्चित कालीन कैद भी मिलती है।

पंकजः रूपा जी लिखती हैं कि वर्षों पहले इन्होंने प्रेमिका नाम का एक चीनी उपन्यास पढ़ा था, जिसका चीनी नाम मिस तू था और इसके लेखक संभवत:लीन उताङ थे। उस उपन्यास में भी प्रेमी अपनी प्रेमिका को बहुत चाहता है जैसा कि भारत में प्रेमी चाहते हैं। ये कहानी पढ़कर ऐसा लगा कि चीन और भारत की संस्कृति एक ही है। जी हां रूपा जी ये आपने एकदम सही कहा कि चीन और भारत की संस्कृति एक ही हैं। दोनों देशों की संस्कृतियां एशियाई हैं, और दोनों ही देशों के लोग बहुत भावुक होते हैं।

चंद्रिमाः पंकज जी, रूपा जी ने हमसे उपहार भेजने की बात कही है। रूपा जी कहती हैं कि जैसे सीआरआई समय समय पर अपने श्रोताओं को आकर्षक उपहार भेजता है, वैसे ही मुझे भी कोई यादगार उपहार भेजा जाए, जिसे मैं अपने पास संजोकर रखूं और आपसे मेरा जुड़ाव और गहरा हो जाए। रूपा जी ये आपने बहुत अच्छी बात कही है। हम जैसे अपने दूसरे श्रोताओं को उपहार भेजते हैं वैसे ही आपको भी हम ज़रूर उपहार भेजेंगे, जिसे आप अपने पास संभालकर रखें और हमारे संबंध और प्रगाढ़ हों। पर उपहार भेजने की पूर्वशर्त यह है कि आप लोग सक्रिय रूप से हमारे द्वारा आयोजित गतिविधियों में भाग लेते हैं, या हमारे कार्यक्रम में शामिल करते हैं, या सी.आर.आई. के प्रसार-प्रचार के लिये महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। तो आप इस दिशा में कोशिश कीजिये, इस के बाद आप को ज़रूर उपहार मिलेगा।।

पंकजः अच्छा दोस्तो, हालांकि हम नहीं चाहते, पर आज का कार्यक्रम समाप्त करने का वक्त आया गया है। खैर अगले हफ्ते में हम यहां फिर मिलेंगे। अब पंकज और चंद्रिमा को आज्ञा दीजिये, नमस्कार।

चंद्रिमाः नमस्कार।


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