चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोताओं, हर बार की तरह इस बार भी हम हाज़िर हैं आपका चहेता कार्यक्रम लेकर "आपका पत्र मिला"। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।
पंकजः और मैं पंकज श्रीवास्तव, इस कार्यक्रम को लेकर हमारे श्रोताओं में खासा उत्साह रहता है, और वो पूरे सप्ताह हमारे कार्यक्रम यानी अपने पत्रों के प्रसारण की प्रतीक्षा करते हैं। तो मित्रों हम शुरु करते हैं आपका सबसे पसंदीदा कार्यक्रम आपका पत्र मिला।
चंद्रिमाः पर आज हम पत्र पढ़ने से पहले आप लोगों को यह सूचना देना चाहते हैं कि पहली अक्तूबर को चीन का राष्ट्रीय दिवस है। आजकल सभी चीनी लोग इस दिवस की खुशी में मस्त हैं। और चीन में 63वीं वर्षगांठ मनायी जा रही है।
पंकजः जी हां, मैंने देखा कि आजकल चीन में कई तरह की सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन हो रहा है, और शहरों की मुख्य सड़कों के दोनों किनारे रंगारंग के फूलों से सजाये गये हैं, जो देखने में बहुत सुन्दर लगते हैं।
चंद्रिमाः इस दिवस की खुशी मनाने के लिये आज के कार्यक्रम के सबसे पहले हम विशेष तौर पर चीन का एक देशप्रेम गीत चुनकर आप लोगों को प्रसारित करेंगे। यह गीत चीन की बहुत प्रसिद्ध वरिष्ठ गायिका ली कू ई द्वारा गाया गया है। गीत के बोल हैं मैं और मेरा देश।
पंकजः इस गीत में देशप्रेम का भावावेश भरा हुआ है। गायिका ने ऐसा गाया है कि मैं और मेरा देश एक क्षण भी अलग नहीं रह सकते। चाहे मैं कहीं भी जाऊं, मैं अपने देश की प्रशंसा करता हूं। मैं अपने देश के हर पहाड़ और हर नदी के लिये गाना गाऊंगा। मेरा देश और मैं समुद्र और पानी की एक बूंद जैसे हैं। बूंद समुद्र में बच्चे के समान है, और समुद्र बूंद की निर्भरता है। मैं समुद्र की खुशी और दुःख बांटता हूं। आशा है मेरा प्यारा देश समुद्र जैसे हमेशा सूखा नहीं होगा। अब लीजिये सुनिये यह मधुर गीत।