पंकजः अच्छा, मधुर गीत और मध्य शरदोत्सव की शुभकामनाओं के बाद अब हम आज का पहला पत्र पढ़ेंगे। आज सबसे पहले हम अपने श्रोता ज़ीशान अहमद फ़ैज़ जी का पत्र लेते हैं, जिन्होंने हमें पत्र लिखा है उत्तर प्रदेश के मऊ नाथ भंजन से। फैज़ जी लिखते हैं कि वो हमारी पत्रिका श्रोता वाटिका के दीवाने हैं और बहुत बेसब्री के साथ इस पत्रिका का इंतज़ार करते हैं। फ़ैज़ जी को श्रोता वाटिका में सबसे ज्यादा जो चीज़ पसंद आती है वो है चीन के बारे में जानकारी, कविता, चित्र और श्रोताओं की राय। इनकी मांग है कि इस पत्रिका को मासिक कर दिया जाये, जिससे ये नियमित रूप से उसे पढ़ सकें। फैज़ जी लिखते हैं कि मुझे आशा है कि मेरे पत्र को श्रोता वाटिका में ज़रूर छापा जाएगा।
चंद्रिमाः ज़ीशान अहमद जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद, जो आपने हमें पत्र लिखा और श्रोता वाटिका के बारे में जानकारी दी। आपकी जानकारी पर हम ज़रूर विचार करेंगे और उस पर अमल करने की कोशिश करेंगे। क्योंकि आपके विचार ही हमारे कार्यक्रम और पत्रिका को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। अगर आप अपने पत्र हमारी पत्रिका में शामिल करना चाहते हैं, तो आप इसमें कुछ कविताएं, या अपने क्लब द्वारा आयोजित गतिविधियों का परिचय दे सकते हैं। ऐसे पत्र आसानी से श्रोता वाटिका में शामिल किये जाएंगे।
पंकजः चंद्रिमा जी, हमें अगला पत्र लिखा है बिहार के गोपालगंज ज़िले से कृष्ण कुमार राम जी ने। कृष्ण कुमार जी हमारे नए श्रोता हैं। इन्होंने लिखा है कि एक दिन इन्होंने हमारा कार्यक्रम रात को साढ़े दस बजे सुना, और उसके बाद से ये हमारे नियमित श्रोता बन गए। तो कृष्ण कुमार जी हमारे नए श्रोता बनने के लिये आपका धन्यवाद और हम आपका अपने नए श्रोता के रूप में स्वागत करते हैं।
चंद्रिमाः कृष्ण कुमार जी आगे लिखते हैं कि इन्हें हमारा चीनी भाषा सीखें कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। श्रोताओं के मन पसंद जो गाने हम सुनवाते हैं, वो इन्हें बहुत अच्छे लगते हैं। इसके अलावा इन्हें तिब्बत की सैर कार्यक्रम भी बहुत अच्छा लगता है। और कृष्ण कुमार जी को सबसे अच्छा वो कार्यक्रम लगता है, जिसमें हम फोन लाइन पर श्रोताओं से बात करते हैं।
पंकजः इन्होंने अपने पत्र में सुंदर कारीगरी के साथ जय भारत लिखा है और साथ में जलता हुआ दीपक भी बनाया है। इन चित्रों को देखकर ऐसा लगता है कि कृष्ण कुमार जी की चित्रकारी बहुत अच्छी है। हम तो आपसे यही कहेंगे कृष्ण जी कि आप ऐसे ही ड्रॉइंग बनाते रहिये क्योंकि किसी भी प्रतिभा को निखारना आपके हाथ में होता है। और उसे अपने मित्रों, संबंधियों को दिखाएं साथ में हमें भी भेजें जिससे हम उसे श्रोता वाटिका में भी छाप सकें। चंद्रिमा जी, ये जानना चाहते हैं कि श्रोता संघ कैसे बनता है?और उसमें कितने लोग होते हैं?कृष्ण कुमार जी ऐसा इसलिये पूछ रहे हैं क्योंकि ये भी एक श्रोता संघ बनाना चाहते हैं।