पंकजः क्लब के अध्यक्ष के नेतृत्व में इस क्लब के अन्य श्रोताओं ने भी बहुत काम किया। देवशंकर चक्रवर्ती जी ने इस प्रतियोगिता के लिये एक तैल चित्र अपने हाथों से बनाया है। इस चित्र में ल्हासा में स्थित पोताला महल का सुन्दर दृश्य दिखाया गया। हालांकि देवशंकर जी ने तिब्बत की कभी यात्रा नहीं की, लेकिन उनके चित्र में दिखाया गया पोताला महल इतना सही है कि जैसे उन्होंने अपनी आंखों से इसे देखकर बनाया है। इस तैल चित्र को देखकर हमें बहुत खुशी हुई।
चंद्रिमाः इस क्लब की छोटी श्रोता मनीषा चक्रवर्ती ने भारतीय कपड़े पर कढ़ाई द्वारा हमें तिब्बत सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के जवाब भेजा है। इसे देखकर हम बहुत प्रभावित हुए हैं, और हम अच्छी तरह से यह महसूस कर सकते हैं कि हर सूई-धागे पर हमारे प्रति उन का गहरा प्रेम शामिल किया गया है। इसपर उन्होंने एक छोटी कविता की कढ़ाई भी की है, अब हम यह कविता पढ़ेंगे। दुनिया की छत पर, चीन का तिब्बत। आंखों की तारा है तू, रूप कितना तेरा महान। तेरी इसी अदाओं से, मैं हूं तेरा गुलाम। तिब्बत, तुझे मेरा सलाम...
पंकजः वाह, वाह, बहुत अच्छी कविता है। भई इस कविता के लिये तो हमें आप की तारीफ़ करनी ही पड़ेगी। और यहां हम न्यू होराइजन रेडियो लिस्नर्स क्लब के सभी सदस्यों को फिर एक बार धन्यवाद देते हैं। और धन्यवाद देने के लिये हम आप लोगों को एक तिब्बती गीत भी पेश करेंगे। गीत के बोल हैं कपड़ा धोने का गीत। इसे तिब्बती गायिका सोलांग वांगमू ने ऐसा गाया है कि किसने हमारी बुरी हालत बदल दी?किसने हमें मुक्ति दी?वो है चीनी मुक्ति सेना। किसने हमारे लिये मार्ग का निर्माण किया?किसने हमारे लिये पुलों का निर्माण किया?वे हैं चीनी मुक्ति सेना। किसने फ़सल काटने में हमारी मदद की?और किसने नयी इमारत बनाने में हमारी मदद की?वे भी हैं चीनी मुक्ति सेना। सैनिक और तिब्बती जनता एक परिवार के सदस्य जैसे हैं। वे कपड़े धोने में हमारी मदद कर रहे हैं। हमारा जीवन बिल्कुल बदल गया, और हमारी खुशी असीमित बन गयी। अब लीजिये सुनिये यह मधुर गीत।