चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। बहुत खुशी के साथ आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।
विकासः और मैं हूं आप का दोस्त, विकास। हमारा प्यार भरा नमस्कार।
चंद्रिमाः विकास जी। हालांकि आज एक लोकप्रिय दिवस नहीं है। लेकिन भारतीय श्रोताओं को चीन के बारे में ज्यादा जानकारियां देने के लिये मैं यह बताना चाहती हूं कि आज चीन की सेना दिवस है।
विकासः जी हां, क्योंकि यह एक खास दिवस है, जो केवल चीनी जन मुक्ति सेना में मनाया जाता है, इसलिये शायद ज्यादा चीनी लोग इस पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं।
चंद्रिमाः पर रात को टी.वी. चैनल पर इस से जुड़े प्रसारित सांस्कृतिक कार्यक्रम तो रंगारंग हैं, जो लोगों को बहुत पसंद है। अगर समय हो, तो आप भी देख सकते हैं।
विकासः पर चंद्रिमा जी, दुख की बात है कि आज मैं नाइट-शिफ़्ट में हूं, दफ़्तर में काम करना पड़ेगा।
चंद्रिमाः ओह, कोई बात नहीं, अगले साल की पहले अगस्त को आप को ज़रूर मौका मिलेगा।
विकासः अच्छा, चीन के सेना दिवस की जानकारी देने के बाद अब हम आज का पहला पत्र पढ़ेंगे। शिवाजी चौक, पुरानी बस्ती, मध्य प्रदेश के हमारे पुराने श्रोता अनिल ताम्रकार जी का पत्र पढ़कर हम बहुत प्रभावित हैं।
चंद्रिमाः जी हां, अपने पत्र में उन्होंने यह लिखा है बचपन से ही मुझे रेडियो सुनने का शौक रहा है। पिछले 30 सालों से मैं प्रतिदिन 10 घंटे रेडियो सुनने में बिताता हूं। सन् 1980 से लेकर वर्ष 2011 तक मैं भारत के करीब 80 प्रतिशत आकाशवाणी केंद्रों पर रेडियो श्रोता के रुप में अपनी फरमाईश भेज रहा हूं। पिछले 30 सालों में मैं प्रतिदिन 90-100 पत्रों के माध्यम से अपनी फरमाईश भेज रहा हूं। अब तक पत्रों की संख्या करीब सात लाख तक पहुंच गयी है।
विकासः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि लगातार 30 वर्षों से लिखने के कारण मेरे दायें हाथ में समस्या हो गयी। तो मैंने बायें हाथ से लिखना प्रारंभ कर दिया। वर्तमान समय में मैं दोनों हाथों से लिख रहा हूं। मेरा मानना है कि अगर इरादे बुलंद हो, तो सफलता अवश्य मिलती है। अनिल जी, मैं आप की बातों से बिल्कुल सहमत हूं। अगर हम अपने लक्ष्य की ओर निरंतर कोशिश करते रहते हैं, तो देर से ही सही लेकिन सफलता जरूर मिलती है। और आप को हमें लगातार पत्र भेजने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।