चंद्रिमाः इस मधुर गीत के बाद अब हम पत्र पढ़ने को जारी रखें। कलकत्ता, पश्चिम बंगाल के प्रियणजित कुमार घोषाल ने हमें भेजे पत्र में अपने पते को मेल लिस्ट में शामिल करने के अनुरोध के साथ साथ यह भी लिखा है कि मैं सी.आर.आई. हिन्दी विभाग का एक श्रोता हूं। हालांकि मेरी मातृभाषा बंगला है, फिर भी मैंने हिन्दी में लिखने की कोशिश की। अगर लिखने में कोई गलती हो जाए, तो माफ़ कर दें। घोषाल भाई, आप का पता हम ज़रूर पंजीकृत करके अपने मेल लिस्ट में शामिल करेंगे। और आप का पत्र पढ़कर हम बहुत प्रभावित हैं। हमारे कई श्रोता, जिन की मातृभाषा हिन्दी नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने पत्र को हिन्दी में लिखने की बड़ी कोशिश की है। यहां हम ऐसे सभी श्रोताओं को सच्चे दिल से धन्यवाद देते हैं।
विकासः साथ ही हम यह सूचना भी देना चाहते हैं कि अगर हिन्दी लिखना कुछ श्रोताओं को सचमुच तकलीफ़ देता है, तो आप लोग अंग्रेज़ी में हमें पत्र लिख सकते हैं। जैसे हमारे कई पाकिस्तान के श्रोता हैं, उन्हें हिन्दी कार्यक्रम सुनने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन लिखने में हिन्दी नहीं आती, तो वे अक्सर हमें अंग्रेज़ी से पत्र लिखते हैं। और कुछ श्रोता, जो पश्चिम बंगाल के हैं, अगर आप लोग हिन्दी अक्षर नहीं लिख सकते, तो आप लोग भी सीधे से अंग्रेज़ी द्वारा हमें पत्र लीखिये। अगर आप लोग अंग्रेज़ी के अक्षर से हिन्दी शब्द स्पेल करते हैं, तो ऐसे पत्र का मतलब समझने में बहुत मुश्किल है। क्योंकि स्पेलिंग व उच्चारण में आसानी से गलती होती है।
चंद्रिमाः अच्छा, अब हम और एक पत्र पढ़ेंगे। जिला मेरठ, उत्तर प्रदेश के श्रोता भीम सिंह ने अपने पत्र में यह लिखा है कि मैं सी.आर.आई. का नियमित श्रोता हूं। सी.आर.आई. द्वारा चीन के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। जो भी परिवर्तन या अन्य जानकारी होती है उस का वर्णन सी.आर.आई. द्वारा मिलता है। पूरे संसार में चीन और भारत एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दोनों देशों के मैत्री संबंध का लंबा इतिहास भी है। आप के केंद्र से प्रसारित सभी कार्यक्रम एवं कल्ब गतिविधि बड़े ही आनंदपूर्वक सुनकर हम बहुत ही ज्ञान प्राप्त करते हैं।
विकासः उन्होंने यह भी लिखा है कि उन का एक पुस्तकालय है, क्या सी.आर.आई. उन के पुस्तकालय को कुछ हिन्दी व अंग्रेजी पुस्तक भेज सकते हैं? भीम सिंह जी, खेद की बात है कि हमारे विभाग में ऐसी पुस्तक तो प्राप्त नहीं है, क्योंकि हिन्दी पुस्तक शायद भारत में ज्यादा आसानी से मिल सकते हैं। पर अगर आप हमारी हिन्दी पत्रिका श्रोता वाटिका या चीनी भाषा सीखें की पाठ्यपुस्तक चाहते हैं, तो हम ऐसी चीज़ आप को भेज सकते हैं। तो अगले पत्र में आप अपनी मांग हमें बताइये।