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त्वेन वू त्योहार की खुशी
2012-06-21 09:08:07

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यकम में। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।

विकासः और मैं हूं आप का दोस्त, विकास। हमारा प्यार भरा नमस्कार।

चंद्रिमाः आज हम पत्र पढ़ने से पहले सभी श्रोताओं को एक शुभकामना देते हैं।

विकासः जी हां, क्योंकि दो दिन के बाद चीन का एक परंपरागत त्योहार त्वेन वू त्योहार मनाया जाएगा।

चंद्रिमाः इस त्योहार की रीति-रिवाज़ के बारे में पहले के कार्यक्रम में हमने खूब जानकारियां बतायी है। और आज मैंने आप लोगों को कुछ नयापन देने के लिये इस त्योहार से जुड़ा एक हंसी-मज़ाक सुनाऊंगी।

विकासः अरे, हंसी-मज़ाक, मुझे बहुत पसंद है। जल्द सुनाइये, चंद्रिमा जी।  

चंद्रिमाः अच्छा, विकास जी, और यह मज़ाक आप जैसे विदेशी लोगों के लिये बहुत उचित है, अब ध्यान से सुनिये। त्वेन वू त्योहार आया है। एक कंपनी ने उपहार के रुप में सभी विदेशी कर्मचारियों को एक टोकरी ज़ुंग त्स भेंट दिया। दूसरे दिन एक विदेशी कर्मचारी ने कंपनी के नेता को धन्यवाद देने के लिये फ़ोन किया और कहा,"आप द्वारा दिये गये ज़ुंग त्स बहुत स्वादिष्ट हैं, लेकिन उस के बाहर बंधा हुआ वह पत्ता बहुत कड़ा है"

 

विकासः हाहाहा, मेरे ख्याल से यह विदेशी कर्मचारी ज़रूर पहली बार यह त्योहार मनाया होगा। उसे यह भी पता नहीं है कि जुंग त्स को खाने से पहले उसके उपर बंधा हुआ पत्ता फेंक देते हैं। वास्तव में जुंग ज़ी खाना द्वेन वू त्योहार का सब से महत्वपूर्ण रीति रिवाज है। वह बांस के पत्तों में चावल को बांध कर बनाया जाता है। लेकिन बाहर के पत्ते नहीं खाये जा सकते। वह विदेशी कर्मचारी सचमुच बहुत दिलचस्प है।

चंद्रिमाः अच्छा, इस हंसी मज़ाक के बाद अब हम आज का पहला पत्र पढ़ेंगे। शेखपुरा बिहार के कृष्ण मुरारी सिंह जी ने एक न्यूज़ द्वारा हमें एक खुशी की खबर दी। इस न्यूज़ में ऐसा लिखा गया है कि डॉ. कृष्ण मुरारी सिंह किसान को केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय योजना आयोग की उपसमिति(कृषि विभाग) के लिये नामित किया है। डॉ.कृष्ण मुरारी को उप समिति में बतौर सलाहकार 5 वर्षों के लिये नामित किया गया है। वे योजना आयोग की उपसमिति में नामित होने वाले बिहार के पहले तथा पूरे देश भर में बारहवें किसान हैं। 

विकासः कृष्ण मुरारी जी, यहां हम अपने सभी श्रोताओं की तरफ़ से आप को मुबारकबाद देते हैं। क्योंकि यह न सिर्फ़ आप की एक सफलता है, बल्कि बिहार प्रदेश के विकास का एक द्योतक भी है। यह साबित हुआ है कि भारत की केंद्र सरकार बिहार पर ज्यादा ध्यान दे रही है। यह एक बहुत अच्छी बात है। यह खुश खबर हमें देने के लिए हम आपके आभारी हैं।

चंद्रिमाः चलें हम अगला पत्र पढ़ेंगे। कोआथ रोहतास, बिहार के कहकशान रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष हाशिम आज़ाद ने अपने पत्र में चीनी मिट्टी बर्तन के बारे में कई सवाल पूछे, जैसे:क्या चीनी लोग आज भी घर में चीनी मिट्टी बर्तन को इस्तेमाल करते हैं?चीनी मिट्टी का बर्तन वर्तमान में सब से अधिक चीन के किस प्रांत में तैयार होता है?और क्या चीनी मिट्टी के खिलौने चीन में तैयार किया जाता है?विकास जी, कृपया आप इन सवालों के जवाब दीजिये। क्योंकि आपने चीन में चीनी मिट्टी बर्तन के प्रसिद्ध शहर चिन डे चेन का दौरा किया था। इसलिये आप ज़रूर इस के बारे में बहुत जानकारियां हमारे श्रोताओं को बता सकते हैं।

 

विकासः ठीक है, मैं एक एक कर सवाल का जवाब दूंगा। पहला है, चीनी लोग आज के ज़माने में भी घर में चीनी मिट्टी बर्तन का प्रयोग करते हैं । ज्यादा चीनी लोग भोजन करते समय चीनी मिट्टी बर्तन का प्रयोग करना पसंद करते हैं, जैसेः कटोरा, प्लेट और चम्मच। और घर में कुछ लोगों को चीनी मिट्टी बर्तन के गहने रखना भी पसंद है। और कुछ चीनी मिट्टी बर्तन, जिन का इतिहास बहुत पुराना है, संग्रह के रूप में भी रखे जा सकते हैं। दूसरा है, चीन के च्यांगशी प्रांत में चीनी मिट्टी बर्तन सब से अधिक तैयार होता है। खास तौर पर चिन डे चेन शहर का चीनी मिट्टी बर्तन विश्व भर में प्रसिद्ध है। चीनी मिट्टी के खिलौने भी तरह तरह के हैं, जैसे जानवरों के आकार के आधार पर बनाने वाले चीनी मिट्टी के गहने और चीनी मिट्टी की बांसुरी इत्यादि।

चंद्रिमाः हाशिम आज़ाद भाई, विकास जी के परिचय से आपको ज़रूर इसके बारे में जानकारी मिल गयी होगी। और आशा है भविष्य में अगर मौका मिला, तो आप ज़रूर चीन के चिन डे चेन शहर का दौरा कर सकेंगे। वहां आप चीनी मिट्टी बर्तन को और गहन रूप से महसूस कर सकते हैं। चलें हम अगला पत्र पढेंगे। बिहार के मेगा लिस्नर्स कल्ब के मो. फ़ारूक आज़म ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि चाइना रेडियो इन्टरनेशनल भारत में बहुत साफ़ सुनाई पड़ता है। सारे प्रोग्राम अच्छे, बेहतर एवं जानकारी वाले हैं। चीन का भ्रमण, तिब्बत में विकास कार्य, चीनी सीखें एवं श्रोताओं की पसंद वाला हिन्दी फिल्मी गीत वाला प्रोग्राम तो तारीफ़ के काबिल है। हमारे कार्यक्रम का समर्थन देने का बहुत बहुत धन्यवाद, मो. फ़ारूक आजम जी।

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