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विकलांग लोगों की सहायता
2012-06-14 09:04:47

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुनने का हार्दिक स्वागत है। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।

विकासः और मैं हूं आप का दोस्त, विकास।

चंद्रिमाः विकास जी, आजकल पेइचिंग का मौसम दिन-ब-दिन गरम हो रहा है। क्या आप ने महसूस किया है?

विकासः जी हां, बिल्कुल महसूस किया है। चंद्रिमा जी, आपने नहीं देखा कि तेज धूप के कारण मैं पहले से काला हो गया हूं।

चंद्रिमाः यह तो मैंने महसूस नहीं किया, क्योंकि मेरे ख्याल से आप का रंग इतना काला हो गया कि और ज्यादा काला नहीं हो सकेगा। हाहाहा।

विकासः चंद्रिमा जी। भारत में एक कहावत है काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं।

चंद्रिमाः अच्छा, अच्छा, विकास जी। मैं तो आपसे मज़ाक कर रही हूं। गुस्सा मत कीजिए। वास्तव में बहुत सारे लोग अपना रंग बदलना चाहते हैं। क्योंकि यह तो स्वास्थ्य का रंग मानना जाता है, खास तौर पर लड़कों के लिये।

विकासः यह सुनकर मुझे कुछ सुकुन हो रहा है। चीन में ऐसा माना जाता है कि काला रंग स्वस्थ होने का सूचक है।

चंद्रिमाः अच्छा, विकास जी, अब हम श्रोताओं को खुशी के लिये पत्र पढ़ना शुरू करेंगे, ठीक है न?

विकासः बिल्कुल ठीक है। श्रोता दोस्तो, आज का पहला पत्र है पूर्वी चंपारण, बिहार के सिय्योन रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष राम बिलास प्रसाद का।

चंद्रिमाः इस में उन्होंने यह लिखा है कि 30 नवंबर वर्ष 2011 को प्रसारित आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुना मुझे बहुत पसंद आया। क्योंकि चाइना रेडियो इन्टरनेशनल की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह के बारे में जानकारी सुनकर और समारोह में गाये गीत विकास जी की मधुर आवाज़ में सुनकर मुझे बहुत पसंद आया। इतने अच्छे गीत गाने के लिये विकास जी को हमारे तरफ़ से लाखों लाख धन्यवाद।

विकासः राम बिलास जी, आप को भी बहुत बहुत धन्यवाद। इस के बाद उन्होंने आगे लिखा है कि आप से मेरा निवेदन है कि हमारे सिय्योन रेडियो लिस्नर्स कल्ब को पंजिकृत श्रोताओं की सूचि में शामिल करने की कृपा प्रदान करें। मैं बहुत दिनों से सी.आर.आई. के नाम पत्र भेजता आ रहा हूं, लेकिन आजतक हमारे पास सी.आर.आई. से कोई भी सामग्री नहीं आया है। आप से मेरा आग्रह है कि हमारे पास लिफ़ाफ़ा, श्रोता वाटिका पत्रिका इत्यादि सामग्री भेजने की कृपा प्रदान करेंगे।

चंद्रिमाः यह सचमुच एक बहुत अजीब बात है, प्रसाद जी। आप का पत्र पढ़ने के बाद मैने हमारी मेल लिस्ट में आपका नाम ढ़ूंढा और पाया कि आप का नाम व पता पहले से ही हमारे मेल लिस्ट में शामिल है। आपको नियमित रूप से हमारा सामग्री मिलना चाहिये। हमें भी मालूम नहीं है कि क्यों हालत ऐसी है। कुछ दिनों के बाद हम अगले अंक की श्रोता वाटिका व कुछ लिफ़ाफ़ा फिर भेजेंगे। उस समय आप हमें सूचित करें कि यह सामग्री मिली या नहीं । अगर नहीं मिला, तो आप स्थानीय डाकघर से यह पूछ सकते हैं।

विकासः अगला पत्र है पश्चिम बंगाल के माधब चंद्र सागौड़ का। उन्होंने हमें एक मोनिटरिंग रिपोर्ट दी, इस में हमारे रेडियो कार्यक्रम के तारीख, समय सारणी, टिप्पणियां आदि शामिल हैं। और अंत में उन्होंने यह अनुरोध भी किया कि कृपया ड्रैगन वर्ष के उपलक्ष में ड्रैगन का पेपर कटिंग भेजें। पर खेद की बात है कि इस वर्ष हमारे उपहारों की लिस्ट में पेपर कटिंग नहीं है। अगर भविष्य में होगा, तो हम ज़रूर आप को भेजेंगे।

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