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अमीर भाई को बधाई
2012-05-31 15:45:05

विकासः अगला पत्र नारनौल, हरियाण के हमारे श्रोता उमेश कुमार शर्मा का है। इस में उन्होंने यह लिखा है कि चीन का भ्रमण में सी.आर.आई. के विकास पर विस्तृत जानकारी, पसंद आई। मैं सी.आर.आई. को दो दशक से अधिक समय से सुन रहा हूं। पूर्व में जब आप का प्रसारण रेडियो पेचिंग के नाम से होता था, और आज काफ़ी परिवर्तन महसूस किया जा सकता है। उस समय के कार्यक्रमों का स्वरुप अब बदल चुका है। आप का प्रस्तुतिकरण अंदाज भी पहले से अच्छा हो चुका है। इस के अलावा प्रसारण की गुणवत्ता भी काफ़ी सुधार चुकी है। मेरे विचार में विश्व का कोई अन्य प्रसारण इस मामले में सी.आर.आई. के समकक्ष नहीं है।

चंद्रिमाः उमेश जी, आप की प्रशंसा के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। सी.आर.आई. हिन्दी प्रसारण का इतिहास 53 वर्ष हो गया। हालांकि इस के दौरान हमारे कार्यक्रमों का बड़ा विकास हुआ है, और कार्यक्रम बनाने में बहुत नयी तकनीक का प्रयोग भी किया जाता है। लेकिन अभी भी कुछ कमियां हैं। हम ज़रूर अपनी पूरी कोशिश से सभी मुश्किलों को दूर करके हमारे कार्यक्रमों को अच्छा से अच्छा बनाएंगे। इस के आलावा उमेश भाई ने अपने पत्र में हमारे कई कार्यक्रमों की भी चर्चा की, और उन कार्यक्रमों को सुनकर अपना अनुभव भी बताया। यहां समय के अभाव से हम सभी को नहीं पढ़ सकते हैं।

विकासः नयापारा ओड़िसा के चीन मैत्री कल्ब के अध्यक्ष हेम सागर नायक ने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि कृपया मेरे इस सवाल का जवाब बुधवार के कार्यक्रम आप का पत्र मिला कार्यक्रम में देने का कष्ट करें। शिनच्यांग स्वायत्त प्रदेश की पहाड़ में जो पत्थर होता है, गर्मी के दिनों में इतना गरम हो जाता है कि पत्थरों में मुरगी का अंडा भी भूना जा सकता है। क्या यह बात बिलकुल सही है? कृपया बताएं शिनच्यांग में कितनी गर्मी पड़ती है? चंद्रिमा जी, क्या आप इस सवाल का जवाब बता सकती हैं?

चंद्रिमाः जी हां। मैं बताऊंगी। चीन में सब से ऊंचा तापमान तो शिनच्यांग स्वायत्त प्रदेश के तुर्फ़ान बेसिन का है। इतिहास में वहां का तापमान 49.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका था। खास तौर पर तुर्फ़ान बेसिन के लौ पहाड़ की जमीन पर दोपहर को तापमान 70 से ज्यादा डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। और पर्यटक आसानी से जमीन में अंडे भून सकते हैं।

विकासः हालांकि मैंने शिनच्यांग की यात्रा कभी नहीं की, लेकिन वेब पर संबंधित फ़ोटो व रिपोर्टों से भी यह बात सुनी है। एक भारतीय के नाते मुझे भी बहुत आश्चर्य होता है, और भविष्य में मैं ज़रूर वहां जाकर अपनी आंखों से यह दृश्य देखूंगा। चलिये, अब हम वेब पर हमारे नेटेज़नों की कुछ कॉमेंट को पढ़ते हैं।

चंद्रिमाः पहला है नयी दिल्ली के राम कुमार नीरज का। उन्होंने यह लिखा है कि उत्तर-पूर्वी चीन के ल्याओ निंग प्रांत के पहाड़ी क्षेत्र में एक मूक और बधिर डाकिया ह्वांग वेई की कहानी बेहद प्रेरणास्पद लगी। मन के हारे हार है मन के जीते जीत कहावत का आदर्श नमूना है ह्वांग वेई। पहले से ही मूक और बधिर से अभिशापित ह्वांग वेई ने जिस हिसाब से जीवन के चुनौतियों को स्वीकार किया है और जीवन जीने के जज्बे को विकसित किया है वह पूरे समाज और दुनिया के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मैं उनके बहादुरी को सलाम करता हूँ।

विकासः शाहाबाद मरकंदा, हरियाना के मितुल कंसल ने हमारी वेब पर यह लिखा है कि कुछ दिनों से आपको लिख ना सका। इसकी वजह यह है कि मेरी परिक्षाएँ चल रही थी। अब वह ख़त्म हो चुकी हैं और इसके साथ ही मैं इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में भी कदम रख चुका हूँ। यह कदम न सिर्फ़ मेरी शिक्षा में है बल्कि सी आर आई की ओर भी है क्योंकि मेरा सी आर आई में उदघोषक के तौर पर कार्य करने का सपना निकट आता जा रहा है।

चंद्रिमाः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि आज मुझे पहली बार श्रोता वाटिका का मार्च महीने का अंक प्राप्त हुआ है। अंक में अखिल पराशर जी की चीन यात्रा पर आधारित बेहद ही सुंदर विवरण पढ़कर खुशी हुई। मेरी भी सी.आर.आई. हिन्दी सेवा के उदघोषक व उदघोषिका से मिलने की तमन्ना है। प्रोग्राम में चीनी विश्व सुंदरी "च्यांग ज़ लिंग" के बारे में जानकारी मिली। यह खुशी की बात है कि चीनी युवतियाँ भी विश्व सुन्दरी की उपाधि प्राप्त करती हैं।

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