चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। बहुत खुशी के साथ आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।
विकासः और मैं हूं आप का दोस्त, विकास। हमारा प्यार भरा नमस्कार।
चंद्रिमाः विकास जी, हाल के कई कार्यक्रमों में हमने ज्यादा पत्र डाक द्वारा भेजे गये पत्रों में से चुने हैं। इसलिये हमारे उन श्रोता शायद अप्रसन्न होंगे, जो हमेशा ई-मेल द्वारा हमें पत्र भेजते हैं। तो आज के कार्यक्रम में हम सब से पहले कुछ ई-मेल या वेब पर लिखे हुए कॉमेंट को पढ़ेंगे, ठीक है न?
विकासः अच्छी राय है। चलिये, पहला ई-मेल है हुबली, कर्नाटक के बेलारी विमेन्स डी एक्स क्लब की अध्यक्षा तब्बसुम खानूम का। इस में उन्होंने लिखा है कि मैं लगभग एक साल से आपका कार्यक्रम सुन रही हूं। आप के सभी कार्यक्रम बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक होते हैं। हम 11 लड़कियां मिलकर एक कल्ब बनाए हैं और आप से अनुरोध करते हैं कि आप हमारे कल्ब को रजिस्टर कर सर्टिफिकेट भेजिये, और हमें श्रोता वाटिका और दूसरी सामग्री भेजिये।
चंद्रिमाः तब्बसुम बहन, हमने आप के कल्ब को रजिस्टर कर लिया है, और डाक लिस्ट में भी शामिल किया है। बाद में आप लोगों को ज़रूर नियमित रुप से हमारे द्वारा भेजी गयी सामग्री मिल सकेगी। लेकिन हमारे पास क्लब का कोई सर्टिफिकेट नहीं है, अगर भविष्य में इस तरह का कोई प्रावधान होता है तो हम आपको जरूर भेजेंगे। आशा है आप लोग हमारे इस जवाब से संतुष्ट होंगी।
विकासः अगला ई-मेल है केसिंगा, ओड़िशा के हमारे सक्रिय श्रोता सुरेश अग्रवाल द्वारा भेजा गया। इस पत्र का मुख्य विषय ऐसा है कि 23 मई. शाम साढ़े छह बजे के प्रसारण में ताज़ातरीन अंतरराष्ट्रीय समाचारों के बाद आगामी 6-7 जून को पेइचिंग में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के शिखर-सम्मलेन पर रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण रही, सुनकर पता चला कि सम्मलेन में क्षेत्रीय स्थिरता तथा समान विकास जैसे मुद्दों पर विशेष तौर पर चर्चा होगी। सहयोग संगठन के एक दशक के कार्यकाल पर रोशनी डालने के लिए भी धन्यवाद्।
चंद्रिमाः साथ ही उन्होंने यह भी लिखा है कि साप्ताहिक "आप का पत्र मिला" के तहत श्रोता भाई कृष्णमुरारी सिंह किसान तथा बिधान चन्द्र सान्याल की कवितायें सुनी, बहुत अच्छी लगीं,परन्तु इस बात पर शिकायत की जा सकती है कि पत्रों को एक साल बाद शामिल किया गया। इसी प्रकार भाई दीपक कुमार दास के पत्र को भी आपने कोई आठ महीने बाद उठाया। माना कि पत्र रास्ते में डाक विभाग की लापरवाही का शिकार हुआ होगा, परन्तु क्या हम इसका पुख्ता विकल्प नहीं ढूंढ सकते? समाधान सम्भव है यदि दिल्ली स्थित कार्यालय में प्राप्त-पत्रों की स्कैनिंग कर उन्हें बीजिंग मेल कर दिया जाये। आशा है कि इस पर गौर फ़रमाएंगे।
विकासः सुरेश जी, सब से पहले हम आप को सुझाव देने के लिये धन्यवाद कहते हैं। पर आपके सुझाव को अमल में लाना बहुत कठिन है। पहला कारण यह है कि नयी दिल्ली में स्थित हमारे हिन्दी विभाग का केवल एक संवाददाता है। और उन के पास भी बहुत काम हैं, जैसे बाहर में इन्टरव्यू लेना, रिपोर्ट लिखना, और ऑडियो या वीडियो कार्यक्रम बनाना। हर दिन वे बहुत व्यस्त हैं। इसलिये हर पत्र स्केनिंग करके ई-मेल द्वारा भेजना उन के लिये असंभव है। वे केवल नियमित रूप से श्रोताओं के पत्र इकट्ठे करके हमें भेज सकते हैं। और दूसरा कारण यह है कि नयी दिल्ली में हमारे पुराने संवाददाता का कार्यकाल अब पूरा हो गया है, और वे पेइचिंग वापस आ चुके हैं। पर नये संवाददाता भारत जाने की तैयारी में हैं। इसलिये हाल ही में श्रोताओं के नये पत्र हमें नहीं मिल पाये हैं।