चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। बहुत खुशी के साथ आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में। मैं हूं आप की दोस्त, चंद्रिमा।
विकासः और मैं हूं आप का दोस्त, विकास।
चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, सब से पहले आज हम पत्र पढ़ना शुरू करेंगे। आज का पहला पत्र है समस्तीपुर बिहार के इंटरनेशनल रेडियो लिस्नर्स कल्ब के अध्यक्ष पी.सी.गुप्ता का। उन्होंने हमें भेजे पत्र में यह लिखा है कि हम लोग चाइना रेडियो इंटरनेशनल से एक लंबे समय से जुड़े हुए हैं। हम लोग अनेक बार आप लोगों से निवेदन कर चुके हैं कि हमारे कल्ब हेतु चाइना रेडियो इंटरनेशनल का ऐसा इलेक्ट्रानिक उपहार भेजने का कृपया कीजिएगा, जो एक यादगार होने के साथ साथ उपयोगी भी हो। खेद है आज तक आप लोगों ने हमारा यह निवेदन स्वीकार नहीं किया।
विकासः पी.सी.गुप्ता जी, सब से पहले हम आप को पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद देते हैं। पत्र में आपने जो कहा कि इलेक्ट्रानिक उपहार भेजने की बात शायद हमारे लिये ज़रा मुश्किल है। एक तो हमारे पास ऐसे उपहार बहुत कम हैं, हम केवल उन श्रोता कल्बों को दे सकते हैं, जिन्होंने सी.आर.आई. के प्रसार-प्रचार के लिये महत्वपूर्ण योगदान दिया है, या सी.आर.आई. के नाम पर सार्थक गतिविधि आयोजित की है। और दूसरा कारण यह है कि ऐसे उपहार डाक से भेजने में बहुत समस्याएं होती है। जैसेः वह आसानी से खराब हो जाता है, कभी कभी रास्ते में ही चोरी हो जाती है, और अगर इलेक्ट्रानिक सामान में बैटरी होता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय हवाई डाक से नहीं भेजा जा सकता है। इसलिये आपसे क्षमा मांगते हैं आपकी मांग पूरी न कर सकने के लिए।
चंद्रिमाः इस पत्र के साथ गुप्ता जी ने दीपावली पर आधारित बच्चों की कई कविताएं भी भेजीं, और कहा कि कृपया इसे हिन्दी कार्यक्रम में या पत्रिका श्रोता वाटिका में स्थान दीजियेगा, एवं संभव हो सके, तो पत्रिका में मेरे फोटो के साथ प्रकाशित कीजिएगा।
विकासः गुप्ता जी, यह अनुरोध हम ज़रूर पूरा करने की कोशिश करेंगे। हमने आप की कविताएं व फोटो श्रोता वाटिका के संपादक को सौंप दिये हैं और उन्हें पत्रिका में शामिल करने का सुझाव भी दिया। अब हम उन कविताओं में कुछ पंक्तियां चुनकर पढ़ेंगे। कविता का नाम है दिवाली का संदेश। हर साल दिवाली आती है, और देती है यह संदेश। मेरे रोशनी जैसा ज्ञान फैलाओ, अज्ञानता से मुक्त करो यह देश। बुराई पर अच्छाई के जीत का, है यह पावन त्योहार। द्वेष आपस में त्याग कर, बांटो सभी लोगों में प्यार।
चंद्रिमाः अब मेरे हाथ में कोआथ रोहदास, बिहार के बिहार रेडियो श्रोता संघ के सदस्य अनुराग केशरी जी का एक पत्र है। इस में उन्होंने लिखा है कि मैं 1986 से लेकर अब तक सी.आर.आई. की हिन्दी सेवा सुन रहा हूं। कुछ कारण सी.आर.आई. को 13 वर्ष तक पत्र न लिख सका, मगर अब फिर लौटकर आ गया हूं। 13 वर्ष कैसे बिता, पता न चल सका। आर्थिक स्थिति खराब होने से मैं मुबई में काम करता था, मगर अब मेरी हालत एकदम सुधर गयी है। मैं परिवार के साथ रहते हुए एक किराना का दुकान चलाता हूं। मैंने सी.आर.आई. सुनना बंद नहीं किया, सिर्फ़ 1998 से लेकर 2011 जनवरी तक पत्र न लिख सका।
विकासः केशरी जी, यह पत्र पढ़कर हम बहुत खुश हैं कि आप फिर एक बार हमें पत्र भेजने लगे हैं। और आशा है कि आप का परिवार दिन-ब-दिन सुखमय व समृद्ध जीवन बिता सकेगा। साथ ही, ये शुभकामनाएं हम कोआथ बिहार के एशिया रेडियो श्रोता संघ के रामचन्द्र प्रसाद केशरी और सशक्त महिला रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष बबीता केशरी को भी देते हैं। क्योंकि वे भी हमारे सी.आर.आई. हिन्दी कार्यक्रम के सक्रिय समर्थक हैं।