विकासः बहुत बहुत धन्यवाद, राम श्रीवास साहब। हालांकि आप का पत्र ज़रा देर से हमारे पास पहुंचा, लेकिन हम अपने कार्यक्रम में इस पत्र को शामिल किए हैं। आगे उन्होंने लिखा है कि हम आप के चाइना रेडियो इन्टरनेशनल की हिन्दी सेवा के सभी कार्यक्रमों के नियमित श्रोता हैं। आप के द्वारा प्रसारित सभी कार्यक्रम मैं तथा मेरे आदर्श श्रीवास रेडियो श्रोता कल्ब के सभी पदाधिकारीगण तथा सदस्यगण नियमित रुप से सुनते हैं, और बहुत अच्छे लगते हैं। आप के प्रसारण सेवा को सुनकर मुझे तथा सभी कल्ब सदस्यों को चीन के बारे में बहुत कुछ जानने तथा समझने को मिलता है। और आप के द्वारा अपने कार्यक्रमों में समय समय पर बेहतर तथा रोचक कार्यक्रम बनाने के लिये जो परिवर्तन करते हैं, वह बहुत ही सराहनीय तथा प्रशंसनीय लगते हैं। आगे उन्होंने बहुत विषय लिखा है। यहां समय के अभाव से हम पूरे पत्र को नहीं पढ़ सकते।
चंद्रिमाः और पत्र के अंत में उन्होंने यह अनुरोध किया है कि उन्हें आप की आवाज़ ऑन लाइन कार्यक्रम में शामिल होने की तीव्र इच्छा है। हिन्दी प्रसारण सेवा से इस के लिये संपर्क रखने का कई बार प्रयास किया, लेकिन विफल है। इस पत्र में उन्होंने अपने फ़ोन नम्बर को भी लिखा, और आशा है हम उन से जल्द ही संपर्क कर सकें। विकास जी, क्या जवाब है?
विकासः ज़रूर श्रीवास साहब, क्योंकि हमारे बहुत श्रोताओं ने आप जैसा अनुरोध किया है, इसलिये हमें एक-एक कर फ़ोन करना पड़ेगा। तो आप धैर्य के साथ इन्तजार कीजिये, हम ज़रूर आप को फ़ोन करेंगे।
चंद्रिमाः अच्छा, इसी के साथ अब समय खत्म हो चुका है।
विकासः हालांकि हम नहीं चाहते हैं पर फिर भी आपसे विदा लेना पड़ेगा।
चंद्रिमाः पर कोई बात नहीं, अगले हफ्ते हम ठीक इसी समय यहां फिर मिलेंगे।
विकासः अब विकास व चंद्रिमा को आज्ञा दें, नमस्कार।
चंद्रिमाः नमस्कार।