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• 13-09-17:श्रीदेवी झांग की चीनी प्रेम कहानी
श्रीदेवी झांग, चेन्नई में तमिल ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई और दिल्ली में पली-बढ़ी। वे अपने आपको शुद्ध देसी दिल्ली की लड़की कहती हैं। जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर की डिग्री प्राप्त कर एचआरडी भारत सरकार से छात्रवृत्ति पर वर्ष 1996 में चीन आईं। उनकी कहानी बहुत रोचक है। बिल्कुल किसी हिन्दी फिल्म की तरह।
• 13-09-10:चीन ने दिया मुझे नया जीवन- माधवी धनक मंगत
माधवी धनक मंगत चीन को अपना दूसरा घर समझती हैं। भारतीय महिला, उसके परिवार और खासकर उनके बेटे के लिए चीन भाग्यशाली साबित हुआ है क्योंकि उनके बेटे को थैलेसिमिया, एक प्रकार के रक्त विकार से पीड़ित था जिसे चीनी चिकित्सकों ने ठीक किया।
• 13-08-27:चीन में आपको सही शब्दों का ही प्रयोग करना पड़ेगा

अगर किसी ने राष्ट्रीय निषेध और सम्राट के नाम का सम्मान नहीं किया है तो इसे एक बड़ा अपराध माना जाता था जिसके लिए कैद भी हो सकती थी या किसी को मौत की भी सजा दी जा सकती थी।

• 13-08-20:शंगनू- अकेली महिलाओं के लिए ये राह कठिन है
चीन में प्रयोग होता शब्द शंगनू का अर्थ हैं अकेली महिलाएँ। ये उन पेशेवर महिलाओं के लिए कहा जाता है जिनकी 28-29 साल तक शादी नहीं हुई। चीनी लोगों का मानना है कि पुरुषों को हर मायने में चाहे उम्र में,शिक्षा में या वेतन महिलाओं से आगे होना चाहिए।
• 13-08-13:जहाँ चाह वहाँ राह
मछली हो तो आसमान में उड़ने के सपने मत देखो, चिड़िया हो तो पानी में तैरने के सपने मत देखो। हर किसी को समाज में अपना स्थान खुद बनाना चाहिए। हमें अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उसे साकार करने के लिए सभी बाधाओं को दूर करना चाहिए।
• 13-08-06:सब कुछ भूलना पर न भूलना माता-पिता का प्यार
वह हमारा इकलौता बेटा है। हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने बूढ़े माता-पिता के साथ ऐसा करेगा, हमारे साथ ही नहीं अपने दादा-दादी के साथ भी ऐसा करेगा। पिछले सात सालों से न वह कभी घर आया है न ही उसका कोई फोन। मैंने कसम ली है कि अगर वह अपने चालीसवें जन्मदिन तक हम से मिलने नहीं आता। मैं उसके साथ अपने पिता-पुत्र के सारे संबंध तोड़ दूँगा।
• 13-07-30:'हम दो हमारे दो' चीन में ऐसी इच्छा पूरी होने में लगेगा वक्त
परिवार नियोजन कानून का उल्लघंन करने वालों को एक बड़ी रकम का भुगतान करना होता है जिसे "सामाजिक समर्थन शुल्क " (social support fee) कहा जाता है। सीमित प्राकृतिक और सामाजिक संसाधनों का अतिरिक्त उपयोग करने के लिए उन्हें इस प्रकार दंड दिया जाता है।
• 13-07-23:बचपन से बड़ा कोई स्कूल नहीं, जिज्ञासा से बड़ी कोई टीचर नहीं
झांग ने तब सोच लिया कि वे अपने बेटे को प्राथमिक स्कूल से निकाल कर घर पर खुद ही पढ़ाएँगे। वे मानते हैं कि यह निर्णय लेना उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने कहा कि, मैं उस समय एक कंपनी चला रहा था। मुझे एहसास हुआ कि मैं एक साथ दो चीज़ें नहीं कर सकता। इसलिए मैंने अपना व्यवसाय छोड़ दिया और केवल अपने बेटे की शिक्षा पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया।
• 13-07-09:तलाक तलाक तलाक

"हमारा तलाक हो जाने के बाद मैं पहली बार एक घर खरीदार के रूप में एक नया घर खरीद सकता हूँ, क्योंकि मेरे अपने नाम पर कोई घर नहीं होगा, क्योंकि तलाक के वक्त मेरी पत्नी, हमारे अपार्टमेंट का दावा करेंगी। उसके बाद हम फिर से शादी कर लेंगे," ली ने कहा, उसे एक स्थानीय अखबार में पढ़ ऐसा करने का विचार आया।

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