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कल हम ने जैसा सोचा था, हम वैसे थे, आज हम जो है वह भी हमारी सोच है और कल हम जैसे होंगे वह भी हमारी सोच ही होगी। यानी सब कुछ हमारी सोच पर निर्भर करता है। हम जैसा सोचते हैं वैसे हम बन जाते हैं। अपनी किस्मत बनाना और बिगाड़ना हमारे हाथों में हैं और जो हम करते नहीं या कर नहीं पाते तब वक्त, किस्मत या हालात का सहारा लेते हैं। आज जिसने भी इस दुनिया में सफलता हासिल कर नाम कमाया है उसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत, दृढ़ विश्वास और संकल्प है। कोई काम बड़ा छोटा नहीं होता ना ही उसे करने वाला आप बड़े-छोटे अपनी सोच से बनते हैं और अपने काम को भी वैसा बनाते हैं। न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम के माध्यम से मेरी पूरी कोशिश रहती है कि आपको यहाँ के समाज के बारे में, लोगों के बारे में, उनकी सोच के बारे में बताऊँ और कैसे मुश्किलों का सामना करते हुए लोग अपनी राह खोज लेते है और आगे बढ़ अपनी किस्मत खुद लिख रहे हैं। और कामयाब हो रहे हैं और अपनी कामयाबी में दूसरों को शामिल कर उन्हें भी जीने की सही राह दिखा रहे हैं। तो चलिए, आज एक ऐसी ही सफल चीनी महिला के बारे में आपको बताते हैं और प्रेरणा लेते हैं।
लू यापिंग सफलता और व्यापार कुशाग्रता की प्रतीक हैं। उन्होंने 30 साल पहले सिलाई और कच्चे कपड़े का व्यापार शुरू किया। अब वह कपड़ा और खुदरा क्षेत्र में रुचि रखने वाले एक कार्पोरेशन की संचालिका हैं। लू जिन्हें लंबे समय से वस्त्रों की रानी के नाम से जाना जाने लगा है सार्वजनिक और घरेलू नामों में जानी-मानी हस्ती हैं।
मार्च 2013 में लू यापिंग ने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस(एन पी सी) के पहले सत्र में भाग लिया। यह दूसरी बार था जब उन्हें एन पी सी डिप्टी के पद पर निर्वाचित किया गया था। इस महत्वपूर्ण पद पर बने रहना इस बात को चिह्नित करता है कि उन्होंने कितनी गहरी छाप छोड़ी है। राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने कहा कि अर्थव्यवस्था के गैर सरकारी क्षेत्रों के विकास के लिए समर्थन, प्रोत्साहन और मार्गदर्शन आवश्यक है। मुझे शी जिंगपिंग के भाषण ने बहुत प्रोत्साहित किया। मैं अपने व्यवसाय के विकास को आगे बढ़ाती रहूँगी और समाज में अधिक से अधिक योगदान देती रहूंगी। लू ने ऐसा कहा।
लू का जन्म 1955 में पूर्वी चीन के जिंयागसू प्रांत में रहने वाले एक गरीब परिवार में हुआ। वे आपस में पाँच भाई-बहन हैं। 1967 में हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद लू अपने गृहनगर वापस लौट खेती-बाड़ी के काम में जुट जाना चाहती थी। उन्होंने अपने जीवन में इतना कठिन दौर देखा जिसने उन्हें अमूल्य अनुभव दिए। हर मुश्किल स्थिति, वक्त से वे और ज्यादा परिपक्व, आत्मविश्वासी और ताकतवर, दृढ़ बनकर उभरी। वे सिर्फ एक साधारण किसान बन अपना जीवन व्यतीत नहीं करना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने सिलाई सीखी ताकि वे कपड़े सिल ज्यादा पैसे कमा सकें और आर्थिक रूप से अपने परिवार की मदद कर सकें। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे सिलाई कक्षा में जाकर कपड़े सिलना सीख सकें। लू सूई और धागा खरीद कर लाईं और अपने आप सिलाई करना सीखने लगी। यह यह उनके लिए सही निर्णय साबित हुआ। वक्त के साथ वे एक दर्जिन बन गईं और अंत में एक बड़ी और सफल कंपनी की प्रमुख। 1979 में चीन ने सुधार और खुलेपन की नीति अपनाने के कुछ महीने बाद लू अपने गृहनगर की एक कपड़ा फैक्टरी में काम करने लगी। जहाँ उसे हर महीने केवल 16 युआन मिलते थे। ज्यादा पैसे कमाने के लिए वह अपने खाली समय में सिलाई करने लगी। एक बार उन्होंने गौर किया कि स्पोर्टस पैंट्स, खेल पैंट्स बहुत लोकप्रिय हो रही हैं। यह देख उन्हें विचार आया कि इस तरह की पैंट डिजाइन करना और उसका उत्पादन करना काफी फायदेमंद रहेगा। यह फैसला कर उन्होंने अपने एक सहकर्मी से 50 युआन उधार लिए और उस पैसे से कपड़ा खरीदा और पैंट बनानी शुरू कर दी। स्थानीय बाजार में उन्होंने उसे बेचा और उनकी कमाई कुछ सौ युआन से बढ़कर हज़ारों युआन तक जा पहुँची। यहाँ से शुरुआत हुई उनकी अपनी कंपनी की।
1995 में, कपड़ा उद्योग में 15 साल संघर्ष करने के बाद लू और उनके पति शी जिएनशिन ने आगे बढ़ने का फैसला लिया और झझियांग प्रांत के शाओशिंग शहर में अपना कपड़ा व्यापार शुरू किया। उन्होंने एशिया के सबसे बड़े वस्त्र बाज़ार, चाइना टेक्सटाइल प्लाझा में एक दुकान किराए पर ली और लू के पहले नाम यापिंग के नाम से प्रिंट कपड़े बेचने शुरू कर दिए।
जियांगसू से आने वाली लू पहली महिला थीं जिन्होंने इस प्लाझा में प्रिंट कपड़े बेचने की शुरुआत की थी। उनके कई दोस्तों को डर था कि वे असफल होंगी। नो रिस्क, नो गेन, कोई भी व्यक्ति बिना जोखिम उठाए सफल नहीं हो सकता। लू अपने दोस्तों से ऐसा कहतीं।
दुर्भाग्यवश, मई 1996 तक, व्यापार घाटे में चल रहा था। 5लाख 80हज़ार युआन तक का घाटा था। लू अध्ययन कर रही थी कि उनके व्यापार में हो रहे घाटे का कारण क्या है। व्यापार संचालन में घाटे का कारण का तब पता चला जब उन्हें एहसास हुआ कि ग्राहकों को उनके प्रिंटिड कपड़े पसंद नहीं आ रहे थे। इसलिए उन्होंने अपने कपड़ों के डिजाइन में सुधार करना शुरू किया और उसे ग्राहकों की पसंद के अनुसार बनाने लगीं।
एक बार व्यापार के सिलसिले में उन्हें गुआंग्ज़ो, गुआंगदूँग प्रांत जाना पड़ा। वहाँ लू ने एक महिला को देखा जिसने बहुत ही सुंदर स्कर्ट पहनी हुई थी। लू ने उस महिला से पूछा तो पता चला कि उस महिला ने वह स्कर्ट इटली से खरीदी थी। लू ने उनसे वह स्कर्ट खरीदनी की विनती की लेकिन महिला ने मना कर दिया। बहुत मनाने के बाद ली ने उस महिला को उस स्कर्ट के बदले 240 युआन और 10 मीटर उच्च क्वालिटी का कपड़ा दिया तब जाकर वह महिला राज़ी हुई। शाओशिंग लौटने के बाद लू ने उस स्कर्ट का अध्ययन किया और उसके आधार पर कई अलग-अलग डिजाइन और पैटर्न की स्कर्ट बनानी शुरू कर दी। दो महीने के अंदर लू की कंपनी जो घाटे में चल रही थी ने लाभ कमाना शुरू कर दिया। और यह सब कमाल उस स्कर्ट ने किया था जिसे देख उसने ग्राहकों की पसंद के अनुसार बनाकर देना शुरू किया।
तब से लू अपने कपड़ों के पैटर्न डिजाइन करती हैं जिन्हें वह अपनी दुकान पर बेचती है। तब से लेकर आज तक वह 17 हज़ार पैटर्न डिजाइन कर चुकी है। लू के व्यापार ने तेज़ी से विकास करना शुरू किया तो उसने अपनी खुद की रंगाई फैक्टरी डालने के बारे में सोचा ताकि उत्पादन लागत कम हो सके। वह दर्जनों डाईंग फैक्टरियों में गई ताकि उनकी प्रबंधन और उत्पादन प्रणालियों का अध्ययन कर सके। समय के साथ, उसके व्यापार
संचालन में कपड़े की आपूर्ति और बिक्री दोनों शामिल थे। उसने एक मजबूत बिक्री चैनल की स्थापना कर उल्लेखनीय काम किया। उसके कपड़े सस्ते और अपने खूबसूरत डिजाइनों और पैटर्न के लिए जाने जाते। 2011 में लू को वस्त्र उद्योग में कार्यरत एक राष्ट्रीय मॉडल का नाम दिया गया।
हालांकि, लू ने केवल हाई स्कूल से डिप्लोमा किया है लेकिन कारोबार को लेकर वह किसी विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रशासन में स्नातक के समान कुशाग्र व बुद्धिमान हैं। वे भी उन अनगिनत चीनी लोगों के समान हैं जो अपने नीजि उद्योग के व्यापार प्रबंधन में मदद करने के लिए परिवार के सदस्यों से मदद माँगती हैं। लू को अपने व्यापार में सभी क्षेत्रों से आए प्रतिभाशाली व्यक्तियों की तलाश रहती है। एक अच्छी कंपनी को नई खोज करते रहना चाहिए। उसे बाज़ार की अच्छी समझ होनी चाहिए और लगातार नए उत्पादों को विकसित करते रहना चाहिए। लू का ऐसा मानना है। लू कार्पोरेट संस्कृति पर करीबी से नज़र बनाए रखती हैं।
संस्कृति किसी भी कंपनी की आत्मा होती है। भविष्य में यापिंग ग्रुप अपने व्यवसाय में वृद्धि करेगा। वह पूरी तरह से प्रयास करेगा कि अपने पारंपरिक सेवा उद्योग को आधुनिक सेवा उद्योग में परिणत कर सके। अब तक इस ग्रुप ने सांस्कृतिक उद्योग में खुद को ढाला। यापिंग कला संग्राहलय स्थापित किया गया जहाँ 20 हज़ार से ज्यादा कलात्मक वस्तुओं को सहेज कर रखा गया है। भविष्य में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में और अधिक निवेश किया जाएगा। ऐसा लू ने कहा।
इन लक्ष्यों को साकार करने के लिए लू का कहना है कि कंपनी को कार्पोरेट संस्कृति बनानी होगी जो उसके कर्मचारियों पर केन्द्रित होगी। कंपनी ने पहले से ही ऐसी गतिविधियों को लागू करना शुरू कर दिया है जो कंपनी के भीतर संस्कृति, ईमानदारी ,पारिवारिक मूल्यों और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य को पूरा करती हैं। लू चाहती हैं कि हर कर्मचारी को लगे कि कंपनी उसके अपने घर की तरह है। यापिंग ग्रुप में 5 हज़ार से ज्यादा कर्मचारी हैं जिसमें 98 प्रतिशत महिलाएँ हैं। लू हर कर्मचारी को अपने घर के सदस्य की भांति प्यार और सम्मान करती हैं। मुझे इस बात पर गर्व है कि हमने एक टीम बना ली है। इस टीम का हर सदस्य कंपनी को अपने घर की तरह समझता है। वे अपने ज्ञान और परिश्रम का योगदान देने के लिए तैयार हैं। हम केवल पैसों के लिए काम नहीं करते। हम खुशी चाहते हैं। लू ने कहा। लू चीनी ट्विटर के समान वेइबो(माइक्रोब्लॉग) की दिवानी हैं। वर्तमान में उनके एक मीलियन फॉलोवर हैं। मैं अपने वेइबो पर दिन में 3 से 5 संदेश लिखती हूँ। जहाँ मैं उन्हें समझाती हूँ कि कड़ी मेहनत और जोखिम उठाकर ही आप मिलने वाले अवसरों का लाभ ले सकते हैं। झी यूवेई ने विश्वविद्यालय से 2000 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की लेकिन उसे एक अच्छी नौकरी नहीं मिल रही थी। उसके एक शिक्षक ने उसे सुझाव दिया कि वह यापिंग ग्रुप में नौकरी पाने के लिए कोशिश करे। उसने सोचा चलो एक बार कोशिश कर देखते हैं। उसके संगीत में शिक्षा ली है, लेकिन जब उसे दुकान सहायक की नौकरी मिली तो वह खुद भी बहुत हैरान थी। मैं बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही थी और कॉउंटर के पीछे खड़े रहकर मेरी कुछ कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी। झी ने उस वाकये को याद करते हुए यह बात बताई।
समय के साथ यह स्पष्ट हो गया कि झी अपनी नौकरी से खुश नहीं थी। एक दिन लू झी को अपने साथ अकेले कोने में लकर गईं और कहा कि अपने काम को नीची नज़रों से मत देखो। एक अच्छा शॉप एसिसटेंट बनना वास्तव में मुश्किल काम है। तुम्हें बहादुर बन, अपने ग्राहकों से नज़रें मिलाकर बात करनी चाहिए। झी को एहसास हुआ कि उसे अपने करियर की शुरुआत कर धीरे-धीरे ऊपर बढ़ना चाहिए। झी के लिए यह अनुभव सार्थक साबित हुआ और उसने मेहनत से हर दिन काम करना शुरू किया। एक दिन ऐसा आया कि जब उसे उसके काम के लिए कार्यालय में प्रोत्साहित किया गया। यापिंग ग्रुप मैंने केवल काम करना ही नहीं सीखा ,लेकिन रिश्तों को कैसे संभालना चाहिए, उन्हें कैसे बनाना चाहिए यह भी सीखा है। झी ने कहा।
लू ने हमेशा अपने माता-पिता का ध्यान रखा है। शी से शादी के बाद उसने अपने ससुराल वालों का भी उतना ही ख्याल रखा जितना कि उसने अपने माता-पिता का रखा है। लू हर मौके,उत्सव,त्योहार पर उन्हें उपहार देती रहती है। वह हर रोज़ अपने माता-पिता से फोन पर बात करती है। वह उन्हें अक्सर छुट्टियों में अपने घर आकर रहने के लिए कहती है। लू और शी की एक बेटी है शी लियांग। ज्यादातर लोग सोचते होंगे कि वह किसी राजकुमारी की तरह रहती होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। लू अपनी बेटी के साथ बहुत सख्त व्यवहार करती हैं। लू उसके लिए कभी मँहगे कपड़े नहीं खरीदती। वे उसे साधारण जीवन जीना सीखाना चाहती हैं। हालांकि, लू ने उसे पढ़ने विदेश भेजा। वहाँ से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद शी लियांग चीन वापस लौटी-यापिंग ग्रुप में। मछली हो तो आसमान में उड़ने के सपने मत देखो, चिडिया हो तो पानी में तैरने के सपने मत देखो। हर किसी को समाज में अपना स्थान खुद बनाना चाहिए। हमें अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उसे साकार करने के लिए सभी बाधाओं को दूर करना चाहिए। लू ने अपने माइक्रोब्लॉग पर यह लिखा।