मनपा जाति की हालिया जीवन हालत को अनुभव करने के अलावा पर्यटक कसांग वांगत्वे के पुराने मकान में मनपा जाति के अतीत काल की जीवन निर्वाह प्रणाली भी महसूस कर सकते हैं। कहते-कहते कसांग वांगत्वे हमें अपने पुराने मकान को दिखाने बाहर निकलने लगे। इस मकान की गहरे भूरे रंग की दीवारें बड़े पत्थरों से बनी हुई हैं , देखने में काफी पुरानी लगती हैं। मकान के भीतर धुंधला सा ही नहीं, काफी संकीर्ण भी है, किसी सजावट का कोई निशान नहीं है, आधुनिक घरेलू विद्युत उपकरण का कोई नाम भी नहीं रहा। कसांग वांगत्वे ने कहा:
"पहले पूरा परिवार इसी मकान में रहता था, सर्दियों में मकान के बीचोंबीच एक आग्नि कुंड बना हुआ था, इस आग्नि कुंड के ऊपर खाना पकाया जाता था, मकान में चिमनी का कोई बंदोबस्त भी नहीं था, परिवार के सभी सदस्य आग्नि कुंड की चारों ओर बैठकर तापते थे। पर अब लेग्पो क्षेत्र के स्थानीय वासियों के निवास गैस चुल्हे समेत विविध आधुनिक उपकरणों से सजधज हुए हैं। इस मकान के जरिये पर्यटक मनपा जाति के जीवन में हुए परिवर्तन को देख पाते हैं।"
कसांग वांगत्वे की जन्मभूमि तिब्बत के लोका क्षेत्र की चोना कांऊटी के लेग्पो क्षेत्र में है। यह क्षेत्र औसत समुद्र सतह की दो हजार नौ सौ मीटर की ऊंचाई पर खड़ा है, हालांकि इस क्षेत्र की ऊंचाई काफी अधिक नहीं है, पर बर्फीले पर्वतों, घास मैदानों, आदिम जगलों और नद नदियों की बहुतायत है, जिस से यहां पर अलग ढंग का रमणीय प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलता है। इतना ही नहीं, यह क्षेत्र चीन की काफी कम जनसंख्या वाली मनपा अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्रों में से एक भी है। पिछले हजारों वर्षों में मनपा जाति में अपनी विशेष सांस्कृतिक परम्पराएं बनी रही हैं। कसांग वांगत्वे ने अपनी जन्मभूमि के इसी पर्यटन खूबी के मद्देनजर पारिवारिक होटल खोलने का निर्णय कर लिया है। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा:
"समूचे तिब्बत में लिनची क्षेत्र को छोड़कर हमारे लेग्पो क्षेत्र में सब से ज्यादा आदिम जगल उपलब्ध हुए हैं, यह हमारा बेमूल्य पर्यटन संसाधन है, साथ ही हमारा मनपा जातीय रीति रिवाज भी बेहद आकर्षित है। बाद में यदि पर्यटन कार्य को गति मिलेगी, तो हमारा भविष्य और अधिक उज्जवल होगा।"