क्वांग-तिब्बत रेल सेवा में करामु और ल्हासा के बीच ऊंचाई औसतन समुद्रतल से 4000 मीटर से ज्यादा है जहां पर यात्रियों को उच्च रक्तचाप की शिकायत अक्सर होती है। 79 वर्षीय चोउ ची छियांग ने कहा कि छिंग हाई प्रांत के शिनिंग से निकलने के बाद अधिकांश यात्रियों को सिरदर्द, उल्टी जैसी शिकायत होने लगती है लेकिन गंभीर स्थिति पैदा नहीं होती है। इस जगह पर जब ट्रेन पहुँचती है तो हमारे परिचारक यात्रियों का विशेष ध्यान रखते हैं। क्वांग-तिब्बत रेल के अधिकारी मा शिन ने कहा:
"ट्रेन परिचारक डिब्बों में घूमते रहते हैं। जब हमें किसी उच्च रक्तचाप के रोगी का पता चलता है तो हम उसे ऑक्सीजन पाईप देते हैं और मदद के लिए डाक्टर की भी व्यवस्था करते हैं।"
इस ट्रेन के परिचारक अक्सर क्वांगतुंग और तिब्बत के बीच यात्रा करते हैं। उनका कहना है कि समुद्रतल से अधिक ऊंचाई खतरनाक नहीं है। सबसे मूल बात है कि वहाँ पहुँचने के बाद आप को अपने आप को ठीक ढंग से संयमित करना चाहिए। कुछ यात्री अक्सर ट्रेन में दिखाए जाने वाले समुद्रतल की उँचाई पर नजरे गड़ाए रहते हैं जिससे उनके उपर कुछ ज्यादा ही मानसिक दबाब पड़ जाता है। इस तरह वे बहुत आसानी से उच्च रक्तचाप के शिकार हो जाते हैं। क्वांगतुंग में पली-बढ़ी छ्वी यी ने कुछ दिन पहले ही अपनी तिब्बत यात्रा समाप्त की है। उसका कहना है कि तिब्बत जाने के लिए और पहुँचने के बाद किसी भी व्यक्ति का उत्तेजित होना स्वाभाविक है लेकिन एक शब्द कभी भी नहीं भूलना चाहिए। यह शब्द है धीमा। क्वांग तुंग वासी छ्वी यी का कहना है:
"आपका मन स्थिर होना चाहिए। जब आप तिब्बत पहुँचते हैं तो उस समय से आप सबकुछ को धीरे-धीरे करें। बोलने की गति धीमी होनी चाहिए, आपकी सभी गतिविधियां धीमी होनी चाहिए। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है आराम करना। ल्हासा पहुँचते ही खाना खाने के बाद आराम की जरूरत होती है और नहाने से परहेज करना चाहिए। फिर आपको किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।"